शारदीय नवरात्र -- शक्ति व शक्तिधर की उपासना का पर्व आज, घट स्थापना 11.360से 12.240श्रेष्ठ मुहूर्त----- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री
शारदीय नवरात्र -- शक्ति व शक्तिधर की उपासना का पर्व आज, घट स्थापना 11.360से 12.240श्रेष्ठ मुहूर्त----- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री
नवापारा-राजिम
आज से जगदंबा भवानी की साधना उपासना का पर्व नवरात्रि प्रारम्भ हो रहा है, इस बार नवरात्रि 9 दिनों की न होकर 10दिनों की है , ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने घटस्थापना और ज्योति जगाने के मुहूर्त के विषय में बताया कि सूर्योदय की पहली किरण के साथ ही देवी की प्राण प्रतिष्ठा का श्रेष्ठ मुहूर्त बन रहा है, इस समय सुबह 7.28 तक अमृत का चौघड़िया है, आज सूर्य और चन्द्र दोनों ही कन्या राशि में है, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है, सुबह 8.58 से 10.28 तक शुभ का चौघड़िया है, मां दुर्गा का प्रिय सौम्य नक्षत्र हस्त नक्षत्र सुबह 11.24 से लग रहा है 12.24 तक अभिजीत मुहूर्त है, इसे घट स्थापना का सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है,संध्या गोधूलि बेला में लाभ और अमृत के चौधडिए में भी स्थापना का मुहूर्त बनता है, किंतु शास्त्र कहते हैं कि देवी की स्थापना और विसर्जन प्रातः काल ही करना चाहिए, शास्त्री जी ने बताया कि इस बार तृतीया तिथि 24तारीख बुधवार व 25तारीख गुरुवार दोनों ही दिन है, शिव शंकर की प्रिया मां चंद्रघंटी की उपासना इस दिन उनके भक्त करेंगे, 30 सितम्बर को दुर्गा अष्टमी और 1 अक्टूबर को महानवमी है, 2अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन बिजया दशमी,दशहरा है, शास्त्री जी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने इन्हीं दिनों में शक्ति की उपासना की थी और उनके वरदहस्त से ही राक्षसराज लंकेश रावण का कुल सहित संहार किया था, दुर्गा सप्तशती के नियमित पाठ के अतिरिक्त श्री रामचरित मानस, सुन्दरकाण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ भी शुभ फलकारी होता है, मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए एवं श्री कृष्ण का प्रेम और सानिध्य प्राप्त करने के लिए गोपियों ने व्रत किया था, इसलिए संतो का कहना है कि नवरात्रियों में गोपी गीत का भी पाठ करना चाहिए, ऐसा करने से श्री कृष्ण कृपा प्राप्त होती है और उनका गोलोक धाम प्राप्त होता है, प्रतिदिन मां का विशेष श्रृंगार, सत्संग, पाठ, भोग और आरती के साथ क्षमा याचना भी करनी चाहिए, ऐसा करने से मां सहज प्रसन्न हो जाती है, अंचल के सुप्रसिद्ध देवी मंदिरों में इसी विधि विधान से पूजा अर्चना होती है।