शासन-प्रशासन ने सुधि नही ली तो ग्रामवासी कर रहे गोठान का संचालन
शासन-प्रशासन ने सुधि नही ली तो ग्रामवासी कर रहे गोठान का संचालन
आरंग
प्राचीन काल से ही देश मे गौ को माता का स्थान प्राप्त है गौमाता से प्राप्त दूध दही घी आदि से प्राप्त आय से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होती थी किन्तु वर्तमान में विश्वगुरु भारत जैसे कृषि प्रधान देश में भौतिकवादी आधुनिक सोच के चलते गौपालन व गोवंश की सेवा में निरन्तर कमी गंभीर चिंता का विषय है गौवंश की पर्याप्त सेवा व देखभाल के अभाव में घुमंतू पशुओं के कारण आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं जिससे एक ओर गौवंश को क्षति पहुंच रही है वहीं बेवजह लोगों की जाने जा रही है इसे रोकने ग्राम पंचायत रसनी के ग्रामीणों ने गुहार लगाई थी किन्तु शासन स्तर पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है अतः रसनी के ग्रामीणों ने सराहनीय कदम उठाते हुए जन सहयोग से गोठान का संचालन कर रहे हैं इसके लिए आर्थिक साधन जुटाने प्रति एकड़ 50 रूपये न्यूनतम राशि जमा की जाती जिससे गोवंश के चारे पानी का प्रबंध के साथ चरवाहे को मासिक मानदेय दिया जाता है इस स्थानीय व्यवस्था से जहां फसलों के साथ ही गौवंश की रक्षा हो रही है वहीं सड़क दुर्घटना में कमी आई है एक संयुक्त बयान में रसनी के सरपंच नंदकुमार चंद्राकर उपसरपंच पारसमणि चंद्राकार युक्तियुक्त करण पीड़ित शिक्षक हेमंत चंद्राकर रोहित वैष्णव संतोष चंद्राकर राजू चंद्राकर पंच हीरामणि साहू पंच अरूण साहू चंद्रप्रकाश चंद्राकर ने बताया कि प्रत्येक वार्ड से चार सेवक प्रतिदिन खेतों की देखभाल करते हैं इस पहल की पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है