*संगोष्ठी में समाज में बढ़ती अराजकता पर विद्वानों ने जताई चिंता* - fastnewsharpal.com
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*संगोष्ठी में समाज में बढ़ती अराजकता पर विद्वानों ने जताई चिंता*

 *संगोष्ठी में समाज में बढ़ती अराजकता पर विद्वानों ने जताई चिंता* 



*कहा-वार्ता से ही समस्याओं का हो सकता है समाधान*



वर्तमान चुनौतियां और हमारा सरोकार विषय पर पीपला वेलफेयर फाउंडेशन की प्रादेशिक संगोष्ठी



रायपुर

  वृंदावन हाल रायपुर में पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रादेशिक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसका विषय "वर्तमान चुनौतियां और हमारा सरोकार"और 

"छत्तीसगढ़ कल, आज और कल"था। संगोष्ठी का शुभारंभ विद्या की देवी माँ सरस्वती, छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा आरती और राजगीत से हुआ। मुख्य वक्ता शिक्षाविद डॉ चितरंजन कर थे और अध्यक्षता डॉ माणिक विश्वकर्मा 'नवरंग' ने की। 






प्रमुख वक्ताओं के स्वागत पश्चात संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष दूजेराम धीवर ने संगठन की नींव रखने से अब तक की सार्थकता पर प्रकाश डाला। संयोजक महेन्द्र पटेल ने पीपला परिवार का परिचय और आयोजन की रूपरेखा, पटल पर रखा। आधार वक्तव्य देते हुए फाउंडेशन के संरक्षक आनंदराम पत्रकारश्री ने बीते हुए कल में छत्तीसगढ़ में अकाल-दुकाल और अभावग्रस्त स्थिति, वर्तमान में छत्तीसगढ़ की आर्थिक समृद्धि के बावजूद बढ़ती चुनौतियां, बेरोजगारी, नशे की लत,कानून व्यवस्था और संस्कृति पर संकट को रेखांकित करते हुए जन सरोकारों पर ध्यानाकर्षण कराया। 

मुख्य वक्ता डॉ चितरंजन कर ने कहा कि अंधेरा- अंधेरा चिल्लाने से अंधेरा दूर नहीं होता है, अंधेरा मिटाने चिराग जलाना पड़ता है। चुनौतियां किस काल में नहीं रही, चुनौतियों से निपटकर आगे बढ़ना ही जिंदगी है। युद्ध से आज तक किसी भी समस्या का समाधान नहीं हुआ, वार्ता से ही बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। साधन बढ़ गए, साधना कम हो गई। शायद यही कारण है कि इंसान सबकुछ पाकर भी उदास है। शिक्षा और संस्कार की कमियों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि जननी जिस दिन सही मायने में माँ बन जाएगी, समाज में बदलाव आ जाएगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ का भविष्य उज्ज्वल बताते हुए कहा कि जब तक आस है, तब तक सांस है।


अध्यक्षता कर रहे डॉ माणिक विश्वकर्मा ने छत्तीसगढ़ में पीने के पानी की समस्या को विकराल बताते हुए कहा कि आम आदमी को पीने का पानी सही मानक में उपलब्ध नहीं है। पर्यावरण संरक्षण समय की मांग है। उन्होंने हिन्दी को राष्ट्र भाषा नहीं बना पाने पर भी चिंता जाहिर की। सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी जयंत थोरात ने संयुक्त परिवार के खत्म होने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि एकाकी जीवन से नई पीढ़ी संस्कारवान नहीं हो पा रही है। कामकाजी माता पिता के पास बच्चों के लिए समय नहीं। यही बच्चे बड़े होकर माँ-बाप को वृद्धाश्रम भेजने लगे हैं। 

डॉ मनीष श्रीवास्तव ने मोबाइल की लत से बाल मन पर पड़ने वाले प्रभाव पर केंद्रित चिंतन में वर्तमान चुनौतियों को रेखांकित किया। अंतर्राष्ट्रीय रचनाकार डॉ कृष्ण कुमार पाटिल ने समाज में बढ़ती अराजकता पर गहरा चिंता जताते हुए व्यंग्यात्मक शैली में कहा "अनियाव देखके खून नई खौले, धिक्कार हे तुंहर जवानी म।कोंदा बनके काबर पियत हव, छत्तीसगढ़ के पानी ल। आगे उन्होंने कहा अपने लोगों को नहीं बल्कि विद्वानों और ईमानदार लोगों को जिम्मेदारी के पद पर बैठाने से छत्तीसगढ़ का सर्वांगिण विकास हो सकता है।चिंतक एम राजीव ने 

ट्रंप टैरिफ की चुनौतियों और हमारे सरोकारों पर विचार रखा। शिक्षाविद् मुरली मनोहर देवांगन ने यूथ आईकॉन की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए संगोष्ठी की सार्थकता प्रतिपादित की। प्रख्यात कवि मीर अली मीर की सुमधुर प्रस्तुति- नंदा जाही का रे... नंदा जाही का से संगोष्ठी का समापन हुआ। सभी वक्ताओं को श्रीरामचरित मानस भेंट कर विदाई दी गई।सभी ने पीपला फाउंडेशन द्वारा जन सरोकार के मुद्दों पर राजधानी में प्रथम बार सार्थक संगोष्ठी आयोजन को मुक्त कंठ से सराहा।

संगोष्ठी का संचालन वरिष्ठ पत्रकार व उदघोषक शशांक खरे और आभार ज्ञापन फाउंडेशन के संरक्षक पारसनाथ साहू ने किया।

संगोष्ठी के आयोजन संयोजन में  संरक्षक आनंदराम पत्रकारश्री, पारसनाथ साहू, थानसिंग साहू,अध्यक्ष दूजेराम धीवर, संयोजक महेन्द्र कुमार पटेल, मार्गदर्शक सदस्य शशांक खरे, मुरलीमनोहर देवांगन, डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर,खिलेश देवांगन,  कोषाध्यक्ष कोमल लाखोटी, सचिव अभिमन्यु साहू, श्रीमती रीति शर्मा सोनपीपरे, छत्रधारी सोनकर,प्रतीक टोंड्रे, सियाराम सोनकर दीना सोनकर,नीरज साहू,डोमेश्वर साहू सहित पीपला के सभी साथियों तथा रानी पद्मावती महिला संगठन से हेमलता पटेल और सावित्री जलक्षत्री की सहभागिता रही।इस अवसर पर नगर सहित अन्य स्थानों से पहुचे चिंतकों की उपस्थिति रही।

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