*चरौदा में अंगाकर रोटी बनाओ प्रतियोगिता में बच्चों में दिखा गजब का उत्साह*
*चरौदा में अंगाकर रोटी बनाओ प्रतियोगिता में बच्चों में दिखा गजब का उत्साह*
*छत्तीसगढ़ की पारंपरिक व्यंजन है अंगाकर रोटी*
*आरंग*
बैग लेस डे शनिवार के तहत शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चरौदा में अंगाकर (पनपुरवा) रोटी बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। जिसमें सभी बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसके लिए शिक्षकों ने शाला के सभी बच्चों का चौदह अलग-अलग समूह बनाए और उन समूहों को छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियां, स्वतंत्रता सेनानी और ग्राम के देवी-देवता के नाम पर नाम दिया। सभी बच्चों ने इस प्रतियोगिता में उत्साह से भाग लेते हुए छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यंजनो में से एक अंगाकर रोटी स्वयं बनाए।
इस अनोखे प्रतियोगिता में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बरोंडा राजिम की सेवानिवृत प्राचार्य श्रीमती ललिता अग्रवाल मुख्य अतिथि रही। वहीं शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजिम की एसएमडीसी व समाजसेवी देवकी साहू तथा ग्राम भिलाई के किसान नेता पारसनाथ साहू उपस्थित होकर इस अनोखे आयोजन की जमकर सराहना करते हुए कहा इस प्रकार के आयोजन से बच्चों में सामुदायिक सहभागिता बढ़ती है। बच्चे पाक कला के बारे में एक दूसरे से सीखते हैं। साथ ही बच्चों को प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है। आगे उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ यह पारंपरिक रोटी बनाने का प्रचलन कम हो रही है।
*क्या है अंगाकर रोटी*
छत्तीसगढ़ की खास व्यंजनों में शुमार है अंगाकर पनपुरवा रोटी।
इसे गोबर के कंडे में सेंककर पकाया जाता है।इसे पकाने के लिए परसा,केला,कसही,सरई,अंडी जैसे पेड़ के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। यह बिना तेल, मिर्च, मसाला के आसानी से बनाया जा सकता है। गोबर के कंडे के अंगार में पकाने के कारण ही अंगाकर पान रोटी कहा जाता है।
पहले लोग इस रोटी को सुबह नास्ता के रूप में खाते थे। पर समय के साथ-साथ ,धीरे-धीरे इस रोटी का प्रचलन कम होते जा रहा है।
शाला के वरिष्ठ शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल ने बताया इस प्रतियोगिता में बच्चों ने खूब उत्साह से भाग लेते हुए पान रोटी और टमाटर चटनी का जमकर लुत्फ उठाया। प्रतियोगिता में महानदी ग्रुप प्रथम, चंडी माता ग्रुप द्वितीय तथा शिवनाथ नदी ग्रुप तृतीय स्थान पर रही।सभी विजेताओं को शालेय प्रबंधन की ओर से उपहार तथा सेवानिवृत्त प्राचार्य ललिता अग्रवाल की ओर से सभी टीम को सौ सौ रुपए नकद राशि भेंटकर पुरस्कृत किया। साथ ही इस शिक्षा सत्र में
कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्र छात्राओं को प्रवीण्य सूची में आने पर एक हजार रूपए नगद पुरस्कार देने की घोषणा भी किए। शालेय प्रबंधन द्वारा इस प्रकार के पारंपरिक व्यंजन पर प्रतियोगिता आयोजन की जमकर सराहना की गई। कार्यक्रम के आयोजन संयोजन में अहम् भूमिका संस्था प्रमुख के के परमाल, वरिष्ठ शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल, सूर्यकांत चन्द्राकार, दीनदयाल धीवर, शिक्षिका संगीता पाटले, शिक्षक सुशील कुमार आवडे,जितेंद्र यदु, शिक्षिका पायल शुक्ला, पार्वती साहू, प्रभा साहू का रहा। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों की उपस्थिति रही।






