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सोशल मीडिया में आपके लाइक और कमेंट पर नाइजीरियन जालसाजों की नजर

                       सावधान
 सोशल मीडिया में आपके लाइक और कमेंट पर नाइजीरियन जालसाजों की नजर , शिकार होने से                         ऐसे बचें

फेसबुक सहित सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर आपके लाइक, कमेंट और टैग आदि पर नाइजीरियन जालसाजों की नजर रहती है। आपकी पसंद और नापसंद का पता लगाकर जालसाज स्पूफ यानी फर्जी ई-मेल भेजते हैं। अपनी पसंद से संबंधित ई-मेल देखकर अधिकांश लोग अधिक जानकारी प्राप्त करने के चक्कर में लिंक को क्लिक कर देते हैं, जिससे वे फिशिंग यानी इलेक्ट्रॉनिक जालसाजी का शिकार हो जाते हैं।
वाराणसी पुलिस के साइबर क्राइम टीम के कोऑर्डिनेटर विजय श्रीवास्तव ने बताया कि ऑनलाइन फेक मेलिंग सुविधा उपलब्ध कराने वाली वेबसाइट के जरिये नाइजीरियन जालसाज स्पूफ ई-मेल भेज रहे हैं। यह ई-मेल स्पैम फोल्डर में न जाकर सीधे इनबॉक्स में आता है।


ई-मेल भेजने के पहले फेसबुक सहित सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर लाइक, पोस्ट, कमेंट्स और टैग के जरिए ये ठग आपकी पसंद-नापसंद का पता लगाते हैं और पसंदीदा चीजों से संबंधित स्पूफ मेल भेजते हैं।
लिंक पर क्लिक करने पर मोबाइल फोन में एपीके फाइल इंस्टाल एवं रन होती है। जिसके बाद आपके फोन में मौजूद सारे डाटा एवं गतिविधियों पर नाइजीरियन जालसाज नजर रख सकते हैं। एडवांस फिशिंग से ठग एंड्रॉयड ऐप में नया पेज खोल देते हैं जो हूबहू ऐप के लॉगिन पेज जैसा ही रहता है। पेज पर लॉगिन करते ही ऐप क्रैश हो जाता है और ठगों को लॉगिन आईडी और पासवर्ड मिल जाता है, जिसका इस्तेमाल कर वह जालसाजी करते हैं। इसलिए, किसी भी ई-मेल को ध्यान से पढ़ कर ही उसके साथ भेजे गए लिंक पर सावधानी से क्लिक करें।

वर्चुअल नंबर से व्हाट्स एप ग्रुप में जोड़ रहे ठग
साइबर क्राइम टीम के कोऑर्डिनेटर विजय ने बताया कि इंटरनेट पर वॉक्सबोन, रिंगसेंट्रल, वोनेज, नेक्सटीवा, वार्मकनेक्ट जैसी कई साइट हैं, जिनके माध्यम से किसी भी देश का वर्चुअल मोबाइल नंबर प्राप्त किया जा सकता है। इन नंबरों को डायल करने पर फोन कनेक्ट नहीं होता है।

वर्चुअल नंबरों से जालसाज व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर किसी एक नंबर को लेकर सीरीज में अंतिम अंक बदलकर 200 से 250 लोगों को शामिल करते हैं। ग्रुप में आकर्षक स्टूडियो का फोटो भेजते हैं और वॉइस मैसेज भेजकर ईनाम जितने, लॉटरी लगने का झांसा देते हैं। समझदार लोग ग्रुप को तत्काल छोड़ देते हैं, जबकि कई लोग प्रलोभन में आ जाते हैं।

विभिन्न राज्यों में फैला है जालसाजों का नेटवर्क
नाइजीरियन गैंग के सदस्य गरीब लोगों को पैसा और लालच देकर उनका खाता खुलवाते हैं। इसके बाद उनके एटीएम और चेक बुक अपने पास रख लेते हैं। फिर फेसबुक, व्हाट्स एप, ई-मेल स्पूफिंग के जरिये ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग कर नाइजीरिया में बैठे ठग दूसरे लोगों के बैंक खातों से रुपये उन खातों में ट्रांसफर करते है।

ठगी करते समय भारत में अलग-अलग जगह इस अंतरराष्ट्रीय गैंग के सदस्य एटीएम के पास खड़े रहते है और नोटिफिकेशन की प्रतीक्षा करते हैं। रुपये खाते में ट्रांसफर होते ही ये लोग एटीएम या चेक से फौरन रुपये निकाल लेते हैं। जब तक लोगों को ठगी का अहसास होता है, तब तक ये ठग एकाउंट खाली कर देते हैं।
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