*आज का सुविचार* - fastnewsharpal.com
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*आज का सुविचार*

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..02-09-2020*..🎋

✍🏻कदर होती है इंसान की जरुरत पड़ने पर ही, बिना जरुरत के तो हीरे भी तिजोरी में रहते है।
💐 *Brahma Kumaris* 💐
🌷 *ओमशान्ति*🌷

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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*02 सितम्बर*_ मृत्यु अचानक आती है, इसलिए सदा तैयार रहे, अपने को सदा विशेषताओ, सुद्ध भावनओं और दुआओ से सम्पन रखे।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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*जीवन में यह महत्वपूर्ण नहीं है की आप कितने खुश है,*
*लेकिन ये महत्वपूर्ण है की आपकी वजह से कितने लोग खुश है !!*
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अनमोल वचनः 

सुख केवल सब कुछ पा लेने में नहीं है बल्कि जो है उसमें संतोष कर लेने में है।जीवन में सुख तब नहीं आता जब हम ज्यादा पा लेते हैं बल्कि तब ही आता है जब और पाने का भाव हमारे अंदर से चला जाता है। ज्यादा पाने की चाहत मिट जाती है | सुख बाहर की नहीं,अंदर की संपदा है। 

🙏ओम् शान्ति 🙏   
       


🌹🌿ब्रह्माकुमारीज  🌹🌿

*कर्म का सिद्धांत* 
अस्पताल में एक एक्सीडेंट का केस आया ।
अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद जाकर आईसीयू में केस की जांच की। दो-तीन घंटे के ओपरेशन के बाद डॉक्टर बाहर आया और अपने स्टाफ को कहा कि इस व्यक्ति को किसी प्रकार की कमी या तकलीफ ना हो। और उससे इलाज व दवा के पैसे न लेने के लिए भी कहा ।

तकरीबन 15 दिन तक मरीज अस्पताल में रहा। 
जब बिल्कुल ठीक हो गया और उसको डिस्चार्ज करने का दिन आया तो उस मरीज का तकरीबन ढाई लाख रुपये का बिल अस्पताल के मालिक और डॉक्टर की टेबल पर आया।
डॉक्टर ने अपने अकाउंट  मैनेजर को बुला करके कहा ...
इस व्यक्ति से एक पैसा भी नहीं लेना है। ऐसा करो तुम उस मरीज को लेकर मेरे चेंबर में आओ।
मरीज व्हीलचेयर पर चेंबर में लाया गया।
डॉक्टर ने मरीज से पूछा 
प्रवीण भाई ! मुझे पहचानते हो!
मरीज ने कहा लगता तो है कि मैंने आपको कहीं देखा है। 
डॉक्टर ने कहा ...याद करो ,अंदाजन दो साल पहले सूर्यास्त के समय शहर से दूर उस जंगल में तुमने एक गाड़ी ठीक की थी। उस रोज मैं परिवार सहित पिकनिक मनाकर लौट रहा था कि अचानक कार में से धुआं निकलने लगा और गाड़ी बंद हो गई। कार एक तरफ खड़ी कर  हम लोगों ने चालू करने की कोशिश की, परंतु कार चालू नहीं हुई।
 अंधेरा थोड़ा-थोड़ा घिरने लगा था। चारों और जंगल और सुनसान था।
परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर चिंता और भय की लकीरें दिखने लगी थी और सब भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि कोई मदद मिल जाए।

थोड़ी ही देर में चमत्कार हुआ। बाइक के ऊपर तुम आते दिखाई पड़े ।
हम सब ने दया की नजर से हाथ ऊंचा करके तुमको रुकने का इशारा किया। 

तुमने बाईक खड़ी कर के हमारी परेशानी का कारण पूछा। 
 तुमने कार का बोनट खोलकर चेक किया और कुछ ही क्षणों में कार चालू कर दी।

हम सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। हमको ऐसा लगा कि जैसे भगवान ने आपको हमारे पास भेजा है क्योंकि उस सुनसान जंगल में रात गुजारने के ख्याल मात्र से ही हमारे रोगंटे खड़े हो रहे थे। तुमने मुझे बताया था कि तुम एक गैराज चलाते हो ।

मैंने तुम्हारा आभार जताते हुए कहा था कि रुपए पास होते हुए भी ऐसी मुश्किल समय में मदद नहीं मिलती। तुमने ऐसे कठिन समय में हमारी मदद की, इस मदद की कोई कीमत नहीं है, यह अमूल्य है।
परंतु फिर भी मैं पूछना चाहता हूँ कि आपको कितने पैसे दूं ?

    उस समय तुमने मेरे आगे हाथ जोड़कर जो शब्द कहे थे, वह शब्द मेरे जीवन की प्रेरणा बन गये हैं।

तुमने कहा था कि.....
 *"मेरा नियम और सिद्धांत है कि मैं मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले* *कभी कुछ नहीं लेता। मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान् रखते हैं।* "
उसी दिन मैंने सोचा कि जब एक सामान्य आय का व्यक्ति इस प्रकार के उच्च विचार रख सकता है, और उनका संकल्प पूर्वक पालन कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं कर सकता। और मैंने भी अपने जीवन में यही संकल्प ले लिया है। दो साल हो गए है,मुझे कभी कोई कमी नहीं पड़ी, अपेक्षा पहले से भी अधिक मिल रहा है। 

यह अस्पताल मेरा है।तुम यहां मेरे मेहमान हो और तुम्हारे ही बताए हुए नियम के अनुसार मैं तुमसे कुछ भी नहीं ले सकता।

ये तो भगवान् की कृपा है कि उसने मुझे ऐसी प्रेरणा देने वाले व्यक्ति की सेवा करने का मौका मुझे दिया।

 ऊपर वाले ने तुम्हारी मजदूरी का हिसाब रखा और वो हिसाब आज उसने चुका दिया। मेरी मजदूरी का हिसाब भी ऊपर वाला रखेगा और कभी जब मुझे जरूरत होगी, वो जरूर चुका देगा। 
 डॉक्टर ने प्रवीण से कहा ....
तुम आराम से घर जाओ, और कभी भी कोई तकलीफ हो तो बिना संकोच के मेरे पास आ सकते हो।

प्रवीण ने जाते हुए चेंबर में रखी भगवान् कृष्ण की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर कहा कि....
हे प्रभु आपने आज मेरे  कर्म का पूरा हिसाब ब्याज समेत चुका दिया।

 " *याद रखें कि एक बार भगवान् चाहे माफ कर दे, परंतु कर्मों का हिसाब* *चुकाना ही* *पड़ता है*. *राधे राधे*🌹🙏🌹

*ओम शांति...2.9.20.....*

♥️ *दिल की बात

💫🌹भगवान ने जीवन मे आकर ...वो गहन राज हमें बताये है...कि पूरा जीवन हम खप जाते तो भी .कोई तिनका समझा नही सकता था....भगवान जैसी मदद ..इस संसार मे कोई किसी की ..कर नही सकता...कि कर्मो के सारे लेखे जोखे ...हमारी हथेली पर खुले होते हैं...कहाँ..एक जन्म के कर्मो में सिर धुनते रहे....भगवान ने सतयुग के कर्म तक सुना दिए..पापो की गठरी लेकर घूमने वालो को ..प्यारी याद के साथ.. ऐसे प्यारे कर्म सिखा दिए कि दिल ..सीधा सतयुग में पहुंच जाये.... 

💫🌹विकार और नेगेटिविटी… हमारे भीतर मौजूद जरा से विकारी अंश को भी अपनी ओर खींच लेती है..और नेगेटिव मिलकर प्लस हो जाते हैं...जैसी हमारी वृति होती है वैसा वातावरण हमें सहज आकर्षित करता है...इसलिए मछुआरे को मछली हमेशा सुगन्ध देती है...वहीं ब्राह्मण उबकाई लेता है..ऐसे ही विकार सुगन्ध जैसा... विकारी मन को आकर्षित करते हैं....पुरानी दुनिया मन को तरह तरह के प्रलोभनों में खींचती ही रहेगी....ऐसे दिल की न याद सहज होती .है..न कोई अनुभव होता है...अस्थिर मन यादो में बैठने ही नही देगा...

💫🌹भगवान की कितनी बड़ी मदद हमें मिली है.. जो कर्म विकर्म ही बनना तय थे ..उन कर्मो के बीच मे …..परमात्मा आकर ..अपनी याद से... श्रेष्ठ बनाने की विधि सिखा देते हैं...और भरे कलयुग में ..हम यादो से …अपने कर्म सतयुगी प्रालब्ध भरे सजा लेते हैं... कलयुगी लहरों में.. सतयुगी महलों की नींव ..भगवान की मदद से ही तो डाल पा रहे हैं...ऐसे सच्चे प्यार को न  पहचान कर ,...संशय करना ..अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चलाना है...

💫🌹भगवान ने अपनी सर्वशक्तियो को हमे देकर ...मा बना दिया है ..अब अनुभव से पावरफुल बनना ..हमारा काम है...सर्व शक्तियों से फुल होकर ही..हम  दातापन को सार्थक कर सकेंगे....प्यारी मम्मा ने समझाया कि... पुरुषार्थ ..प्रालब्ध का…. यह बना हुआ ड्रामा है ..बार बार जीते हुए भी ..भूल जाना ही ..इसकी नवीनता है  हम तीव्र पुरुषार्थ से ..अपने सुखों के पार्ट को ..बहुत ही बेहतरीन नुध सकते हैं....शिव कल्याणकारी पिता.. हर धर्म कि आत्माओ का कल्याण करते हैं...भले वे ज्ञान को न समझ पाये पर…. योग से पवित्रता को ..अवश्य पाते हैं....

        *🌷ओम शांति🌷*


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संसार में दो प्रकार के पेड़ पौधे होते हैं-

प्रथम: अपना फल स्वयं दे देते हैं,
जैसे - आम, अमरुद, केला इत्यादि ।

द्वितीय : अपना फल छिपाकर रखते हैं,
जैसे - आलू, अदरक, प्याज इत्यादि ।

जो फल अपने आप दे देते हैं, उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं, और  ऐसे वृक्ष फिर से फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं ।

किन्तु जो अपना फल छिपाकर रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं, उनका वजूद ही खत्म हो जाता हैं।

ठीक इसी प्रकार...
जो व्यक्ति अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में समाज के उत्थान में लगा देते हैं, उनका सभी ध्यान रखते हैं और वे मान-सम्मान पाते है।

वही दूसरी ओर
जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं, किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते है, अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है।

प्रकृति कितना महत्वपूर्ण संदेश देती है, बस समझने, सोचने और कार्य में परिणित करने की बात है।

  Om shanti
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