आज का सुविचार
*आज का शुभ विचार*
शुक्रवार, 4 सितंबर 2020
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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..04-09-2020*..🎋
✍🏻बड़प्पन वह गुण है जो पद से नहीं संस्कारों से प्राप्त होता है। परायों को अपना बनाना उतना मुश्किल नहीं, जितना अपनों को अपना बनाए रखना।
💐 *Brahma Kumaris* 💐
🌷 *ओमशान्ति*🌷
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻जीवन की राह तो बड़ी सीधी है, मोड़ तो सारे मन के हैं, गलत सोच और गलत अंदाजा इंसान को हर रिश्ते से गुमराह कर देता है। मन में विश्वास रखकर कोई हार नही सकता. और मन में शंका रखकर कोई जीत नही सकता।
🌹 *ओमशान्ति.*🌹
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*04 September 2020*
🍁 आज की प्रेरणा 🍁
अगर हमारी सोच ऊंची और सकारात्मक है तो छोटे तो सम्मान करेंगे ही साथ में बड़े भी हमारा सम्मान करेंगे।
👉 *आज से हम* अपनी सोच को ऊंचा और सकारात्मक बनाएँ...
सिकंदर जब भारत में आया तो उसने एक योगी की दिल से सेवा की । योगी के मन में आया कि सिकंदर को जरूर कोई इच्छा है जिसके कारण यह मेरी इतनी सेवा कर रहा है । उसने राजा सिकंदर से पूछा, आप क्या चाहते हैं ? राजा ने कहा, मेरा सारे विश्व पर राज्य हो जाए । योगी ने कहा, तथास्तु लेकिन मेरी एक शर्त है । एक खप्पर है इसे आप अनाज से भर देना । सिकंदर ने कहा, महाराज जी आप अनाज की बात कर रहे हैं मैं तो इसे हीरो से भर दूंगा । तभी उसने सैनिकों से हीरे मंगवाए और लगा भरने, बहुत देर हो गई भरते भरते लेकिन खप्पर भरने को ही नहीं आया । सिकंदर थक गया ।
योगी ने कहा, यह खप्पर मानव की इच्छाओं का प्रतीक है । यह कभी नहीं भरता । एक इच्छा पूरी होती है तो दूसरी आ जाती है । दूसरी पूरी होती है तो तीसरी आ जाती है । इस तरह मानव की इच्छाएं कभी पूरी नहीं होती हैं । आज आप विश्व पर राज करना चाह रहे हैं फिर आकाश पर फिर अन्य ग्रहों पर राज्य करना चाहेंगे । इस तरह आपकी इच्छाएं शांत होने के बजाय और बढ़ेंगी ।
हमारे सामने अमेरिका देश का उदाहरण है । उस देश में बहुत संपन्नता है लेकिन लोगों का आपसी प्यार खत्म हो चुका है । बच्चों को मां बाप का प्यार नहीं मिलता । तलाक जैसी वारदातें इतनी है कि सही गिनती करना भी मुश्किल है । घर का वातावरण अच्छा नहीं है । आधे से ज्यादा लोग मस्तिष्क के रोगों से ग्रसित हैं । इस प्रकार के रोगों का कारण वैभव का अधिकांश संचय करना है । इससे सिद्ध है कि वैभव से कभी भी हमारे मन को शांति नहीं मिल सकती । सुख शांति के लिए स्थूल धन की नहीं लेकिन ज्ञान रूपी धन की जरूरत है । जीवन में आध्यात्मिकता की जरूरत है ।
हमें याद रखना है कि आत्मिक बल वाले की पैसे से ज्यादा मान्यता है । महात्मा गांधी जी जब एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए लंदन गए, तो धोती पहन कर कंधे पर चादर डालकर चले गए । वहां का कानून था कि जो भी सम्राट से मिलने जाए वह पेंट शर्ट पहन कर जाए । गांधीजी ने कहा कि भारत का गरीब निवासी ऐसा नहीं करेगा । मेरे देश की जनता भूखी मर रही है और मैं पेंट शर्ट डालकर आऊं, यह मुझे शोभता नहीं । सम्राट को यह सारी बात बताई गई । सम्राट ने कहा कि ऐसे महान पुरुष से तो मैं मिलना चाहता हूं, चाहे वह कैसे भी आए । तो देखिए आत्मिक बल की कमाल । सादगी ही सच्चा सम्मान पाती है ।
परमात्मा पिता कहते हैं कि श्रेष्ठ कर्मों का धनी और ज्ञान का धनी सच्चा धनवान है । यह धन जन्म-जन्म आत्मा के साथ जाता है । बाकी सब कुछ तो यहीं छूट जाता है । इस सच्चे धन से आत्मा जन्म-जन्म सुख पाती है । प्यारे शिवबाबा इस संगमयुग पर ज्ञान रत्नों का अविनाश धन बांट रहे हैं । ज्ञान के एक-एक रत्न की कीमत अतुलनीय है । जो अभी जितने ज्यादा ज्ञान रत्न ग्रहण करेगा, सतयुग में वह उतना ही ऊंचा पद प्राप्त करेगा ।
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