मन घोर अंधकार से घिर जाता है, तब सत्संग का प्रकाश ही बाहर ला पाता है--संत राम बालक दास जी - fastnewsharpal.com
फास्ट न्यूज हर पल समाचार पत्र,

मन घोर अंधकार से घिर जाता है, तब सत्संग का प्रकाश ही बाहर ला पाता है--संत राम बालक दास जी

  मन घोर अंधकार से घिर  जाता है, तब सत्संग का प्रकाश ही  बाहर ला पाता है--संत राम बालक दास जी



जब हमारा मन घोर अंधकार से घिर  जाता है, तब सत्संग का प्रकाश ही उससे हमें बाहर ला पाता है, परंतु पिछले 9 महीनों से कोरोना महामारी के कारण सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं,  ऐसे में पाटेश्वर धाम के महान संत राम बालक दास जी के अद्भुत प्रयासों ने सबको सत्संग के प्रकाश से लाभान्वित करवाया है, इंटरनेट जिनका विविध रूपों में आज उपयोग किया जा रहा है, संत श्री ने इसका उपयोग महान कार्य धार्मिक रूप में किया है, जिसमें प्रतिदिन इनके द्वारा संचालित किए जाने वाले ग्रुप  सीता रसोई संचालन ग्रुप का पिछले 8 माह से संचालन बड़ी सफलता पूर्वक किया जा रहा है जिसमें सभी भक्तगण प्रातः10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं उनकी जिज्ञासाएं सभी विषयों पर होती है   समसामयिक,राजनीतिक,धार्मिक,सामाजिक जिनका यथोचित मार्गदर्शन बाबा जी के अद्भुत ज्ञान द्वारा प्राप्त कर सभी भक्तगण अपने आप को धन्य करते हैं,ग्रुप में प्रतिदिन सुंदर-सुंदर भजनों की प्रस्तुति भी भक्त गणों के द्वारा की जाती है नन्हे नन्हे बच्चों के मधुर भजन भी प्रतिदिन सुनने को मिलते हैं, पाठक परदेसी जी पुरुषोत्तम अग्रवाल जी रामफल जी  नागेश्वर गुरुजी, कवि केशव साहू डुबोबत्ती यादव, शिवाली साहू तन्नू साहू, और नन्ही अधीरा, पूर्वी और जतमई से भूषण साहू जी का पूरा परिवार प्रतिदिन सुंदर-सुंदर भजनों की प्रस्तुति करता है, प्रतिदिन बाबा जी का भजन सभी के हृदय को परम आनंद को से सराबोर  कर देता है

   आज भी ग्रुप में ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिदिन की भांति ऋचा बहन ने मीठा मोती का प्रेषण किया,जिसमें संदेश दिया गया कि "जो बात आपके मन को भटकाने वाली है उसे सुनते हुए भी ना सुने जहां भी सुने वहीं छोड़ दे 

 मीठा मोती पर बाबाजी ने एक संस्मरण सुनाते हुए बताया कि स्वामी विवेकानंद जी विदेश में थे और विदेश में वे  रेलगाड़ी से सफर कर रहे थे क्योंकि वहां अंग्रेज भी थे जो कि उनके रूप को देखकर चिढ़ गए थे सन्यासी का रूप उसमें भगवा वस्त्र धारण पगड़ी पहने हुए मस्तक पर टिका देखकर सभी उन पर व्यंग कसने लगे उनका मजाक उड़ाने लगे परंतु परम ज्ञानी विद्वान विवेकानंद जी शांत रहे चुपचाप मुस्कुराते रहे अंग्रेज गाली भी देते तो ऐसे दरशा रहे कि जैसे उन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा जब उनका स्टेशन आया तो विवेकानंद जी ने अंग्रेजी में आवाज दी सभी चौक गए इन्हें तो अंग्रेजी आती है अब तो हमारी खैर नही, अब यह हमारी रिपोर्ट पुलिस में करवाएंगे और हमें जेल जाना पड़ेगा फिर सभी उनसे क्षमा मांगने लगे विवेकानंद जी ने कहा कि कोई बात नहीं यदि आपने मुझे अंग्रेजी में गाली दी भी है तो मैं उसे अपने पर नहीं लेता, विदेशी आश्चर्यचकित हो गए 

 इस तरह हम किसी को  यदि बुरा भला कहते हैं तो वह बुरा भला कहने वाले के पास ही रह जाता है हम लेंगे तभी हमें मिलता है अतः गलत चीज जहां सुने उसे वहीं छोड़कर चल देना चाहिए,

           श्री कृष्ण की बाल लीला को आगे बढ़ाते हुए, माखन चोरी के  विशेष प्रसंग को बाबा जी ने अपनी मधुर वाणी से सुना कर सभी को आनंदित कर दिया,  रहस्य एवं संदेश को बताने हेतु बाबा जी ने श्री कृष्ण के प्रत्येक बाल लीला का वर्णन अपने अद्भुत ज्ञान द्वारा किया जिससे ऐसा प्रतीत होता था कि मानो हम श्री कृष्ण जी के समकक्ष ही  इस घटना का अवलोकन कर रहे हैं, संदेश देते हुए बाबा जी ने बताया श्री कृष्ण जी कहते हैं कि कोई भी लीला तब तक पूर्ण  नहीं होती जब तक उसमें सामूहिकता का भाव ना हो तब श्री कृष्ण जी अपने पावन अवतार को जन्म जन्म तक सभी के लिए उदाहरण रूप में प्रस्तुत करने के मनोभाव से कन्हैया रूप में अवतरित हुए हैं ताकि सभी का कल्याण हो,और बाबा जी ने अपनी मधुर वाणी में सब को आनंदित करते हुए श्री कृष्ण के बाल लीला का बहुत ही सुंदर गायन आज सत्संग परिचर्चा में किया

 और उनके मधुर एवं सारगर्भित भजन "वो कौन है जिसने हमको दी पहचान है ...... के साथ सत्संग का विश्राम हुआ

 गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads