वीडियो-अचानक पहुचे पत्रकार तो पता चला ग्रामीणों की भूमिका में मौजूद थे फेक्ट्रियो के ठेका श्रमिक - fastnewsharpal.com
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वीडियो-अचानक पहुचे पत्रकार तो पता चला ग्रामीणों की भूमिका में मौजूद थे फेक्ट्रियो के ठेका श्रमिक

 ग्रामीणो ओर स्थानीय पत्रकारों को भनक तक नही लगने दी और हो रही थी फेक्ट्री विस्तार की जनसुनवाई



*अचानक पहुचे पत्रकार तो पता चला ग्रामीणों की भूमिका में मौजूद थे फेक्ट्रियो के ठेका श्रमिक*


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   सुरेन्द्र जैन/धरसीवां

 कुछ समय पूर्व जिस तरह एसकेएस इस्पात के विस्तारीकरण की जनसुनवाई  बिना ग्रामीणो को सूचना दिए बिना की गई ठीक उसी तरह शुक्रवार को भी दो फेक्ट्रियो की जनसुनवाई गुप्त रूप से ग्रामीणो को सूचना दिए बिना की जा रही थी कि अचानक वहां कुछ स्थानीय पत्रकार पहुच गए तो पता चला कि ग्रामीणो की भूमिका में पड़ोसी राज्यों के ठेका श्रमिक बैठे हुए हैं।

     श्रमजीवी पत्रकार संघ के ब्लॉक अध्यक्ष गुरुवार को कार में पेट्रोल डलाकर बिजली विभाग कार्यालय के सामने से निकल रहे थे कि अचानक वहां बड़ी संख्या में पुलिस दिखी जब अंदर जाकर देखा तो माजरा जनसुनवाई का था जो पर्यावरण विभाग की तरफ से रखी गई थी लेकिन इसमें ग्रामीण तो थे ही नही न सांकरा सिलतरा के ग्रामीणो को इसकी भनक लगी न स्थानीय पत्रकारों को।

   *दो फेक्ट्रियो के विस्तार की थी जनसुनवाई*

औद्योगिक क्षेत्र सिलतरा के फैस टू सांकरा में स्थित इस्पात इंडिया और फैस वन में सिलतरा पंचायत  के अंतर्गत

स्थित हिंदुस्तान क्वाइल नाम फेक्ट्री के विस्तारीकरण के लिए जनसुनवाई चल रही थी वहां ग्रामीणों की भूमिका में मौजूद लोगो से बात करने पर पता चला कि वह फेक्ट्रियो में लेबर ठेकेदारों के अधीन काम करने वाले श्रमिक हैं जिनमे कोई बिहार का तो कोई छत्तीसगढ़ के ही अन्य जिलों के रहवासी थे उन्हें यहां चुपचाप बैठने यानी भीड़ जुटाने की ओपचारिकता पूरी करने लाया गया था।

*जनपद के उधोग सभापति ने भी जताई नाराजगी*

 धरसीवां जनपद पंचायत के  उद्योग सभापति गुणदेव मैरीषा व सिलतरा के पुर्व सरपंच नत्थू यादव ने भी इस गुपचुप जनसुनवाई पर नाराजगी जाहिर की है उन्होंने जनता को सूचित किए बिना इस तरह के जनसुनवाई का विरोध किया उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उधोगो के विस्तारीकरण के लिए जनसुनवाई के पूर्व संवंधित गांवों में मुनादी होनी चाहिए और ग्रामीणो की मौजूदगी में जनसुनवाई हो शिवसेना नेता परमानंद वर्मा ने उपस्थितवअधिकारीयो के समक्ष कहा कि क्या इस तरह की जनसुनवाई होती है यह  जनसुनवाई कहां है ग्रामीणों को सूचना दिए बिना मुनादी कराए बिना इस तरह से चोरी छुपे जनसुनवाई कराना उचित नही उन्होंने इस जनसुनवाई को स्थगित कर गांव में मुनादी कराकर पुनः जनसुनवाई कराने की मांग की पूर्व पंच एवं क्रांति सेना के कार्यकर्ता अमरदास टण्डन ने कहा कि सांकरा सिलतरा में दोनो फैक्ट्रियां हैं लेकिन गांव के लोगो को सूचना तक नही दी।

  *जीएम बोले ग्रामीण मौजूद थे*

   इस संबन्ध में इस्पात इंडिया के जीएम प्रदीप सिंह से उनका पक्ष जाना तो उन्होंने कहा कि जनसुनवाई फेक्ट्री में काम बढाने की है उन्होंने कहा कि सुनवाई में ग्रामीण मौजुद थे ग्रामीणो की जगह ठेका श्रमिको की बात को उन्होंने गलत बताया।

    *ओपचारिकता के लिए इतनी पुलिस क्यों*

   जो  जनसुनवाई स्थानीय पत्रकारों और ग्रामीणो को सूचना दिए बिना गुपचुप तरीके से हो रही हो उसमे ग्रामीणों की भूमिका निभाने आये फेक्ट्रियो में काम करने वाले श्रमिको से अधिक संख्या में मौके पर पुलिस दिखाई दी महिला पुलिस भी मौजूद थी अब सवाल यह उठता है कि जब जन सुनवाई की ओपचारिकता ही निभाना है तो इतनी संख्या में फिर पुलिस की जरूरत क्या थी आख़िर क्यों पुलिस का भी कीमती समय बर्बाद किया जाता है अपराधों की रोकथाम में लगी पुलिस का क्या इस तरह ओपचारिकता निभाने के कार्यक्रमो में बेबजह समय बर्बाद करना उचित है और यदि पुलिस का कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं तो विधिवत आसपास के गांवों में पूर्व सूचना देकर ग्रामीणो को क्यों नही बुलाया गया यह समझ से परे है ।

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