*ग्रामीणो खुद पहुचे घनकुल स्टील के सामने प्रदर्शन करने* - fastnewsharpal.com
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*ग्रामीणो खुद पहुचे घनकुल स्टील के सामने प्रदर्शन करने*

 ओधोगिक प्रदूषण ने किया ग्रामीणो का जीना मुहाल



*ग्रामीणो खुद पहुचे घनकुल स्टील के सामने प्रदर्शन करने*

सुरेन्द्र जैन/धरसीवां

  छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के धरसींवा विधानसभा क्षेत्र के सिलतरा  ओधोगिक क्षेत्र की फेक्ट्रियो के बढ़ते प्रदूषण ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर दिया है हालात इतने बद से बदतर हो गए कि रविवार को गांव की ग्रामीण महिलाओं ने खुद ही प्रदूषण पर अंकुश की मांग को लेकर घनकुल फेक्ट्री का घेराब कर दिया।



    ओधोगिक क्षेत्र सिलतरा के फेस टू से लगे सोंडरा एवं मुरेठी की ग्रामीण महिलाओं के साथ पुरुष वर्ग भी फेक्ट्री का घेराव कर प्रदर्शन करने पहुचे सूचना मिलते ही सिलतरा चौकी प्रभारी प्रियेश जॉन पुलिस बल के साथ मौके पर पहुचे इस दौरान बढ़ते प्रदूषण को लेकर ग्रामीणो ने अपना भारी रोष प्रगट किया फेक्ट्री प्रबन्धन के प्रतिनिधियों ने ग्रामीणो के समक्ष आकर बताया कि काम जारी है आगे से उन्हें किसी प्रकार की शिकायत का कोई मौका नही मिलेगा तब कहीं जाकर ग्रामीण शांत हुए ग्रामीण महिलाओं ने चौकी प्रभारी को ज्ञापन भी सौपा।



*घरों के किचन के अंदर तक प्रदूषण*

  ओधोगिक इकाइयों का प्रदूषण आसपास के गांवो में कितना कहर बरपा रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिन  लोगो ने अपने मकानों में प्रदूषण से बचने खिड़की रोशनदान तक नही दिए उनके घरों में भी किचन तक प्रदूषण की काली डस्ट पहुच रही है तो खपड़ैल वाले कच्चे घरोंदों में रहने वाले ग्रामीणो के हाल क्या होंगे इसी से समझा जा सकता है।



      ग्रामीण महिलाओं के अनुसार फेक्ट्रियो की चिमनियों से दिन भर तो रुक रुककर ओर रात में पूरी रात काला धुंआ भारी मात्रा में निकलता है जो उनके घरों के छत फर्श कपड़े बर्तन ही नही खाद्य सामग्री को भी किरकिरा प्रभावित करता है ।

    *तालाबो के पानी पर काली परत*

   अनियंत्रित हो चुके ओधोगिक प्रदूषण से हालात ये हैं कि सोंडरा सांकरा सिलतरा मुरेठी निमोरा आदि गांव के तालाबो के पानी के ऊपर रातभर में प्रदूषण की काली परत जम जाती है सुबह सुबह जो ग्रामीण तालाबो में स्नान करने जाते हैं वो काली परत इधर उधर कर नहा तो लेते हैं लेकिन नहाने के बाद उन्हें खुजली होती है।

*हवा का एक झौका जमी से आसमान तक कर देता है काला*

     ओधोगिक इकाइयों की चिमनियों के धुंआ के अलावा फेक्ट्रियो के अपशिष्ट काली डस्ट के ढेर ओर ओधोगिक क्षेत्र की सड़कों की साफ सफाई न होने से सडको पर फैली डस्ट हवा के एक झौकें मे जमीन से आसमान तक कुछ समय के लिए चारों तरफ काला ही काला कर देती है पैदल दुपहिया से चलने वाले ही नही बल्कि चार पहिया वालों को भी हवा का झौका चलने के बाद कुछ समय जहां के तहां खड़े होना पड़ता है।




*सरकारें बदली पर प्रदूषण ज़स का तस*

   ओधोगिक प्रदूषण से हलाकान ग्रामीणों को बहुत आशा थी कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद कुछ राहत मिलेगी लेकिन ग्रामीणो का यह विश्वास भी मुंगेरीलाल के हसीन सपनो की तरह निकला सत्ता परिवर्तन के बाद कुछ दिन तो प्रदूषण थोड़ा कम रहा लेकिन  इसके बाद हालात इतने बदतर हो गए कि लोगो का जीना मुहाल हो गया।

*सौपा ज्ञापन*

ग्रामीणो ने बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने अपनी मांगों को लेकर चौकी प्रभारी प्रियेश जॉन को ज्ञापन सौपा।

  *कंपनी प्रबन्धन ने किया वादा*

  हालांकि आसपास के गांवों में फैस टू की आधा दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां जो सांकरा सोंडरा मार्ग के उत्तर दिशा में स्थित हैं उन सभी का भारी प्रदूषण पहुचता है लेकिन रविबर को ग्रामीणों ने घनकुल के सामने धरना प्रदर्शन घेराब किया 

  इस दौरान कंपनी प्रबन्धन की तरफ से लिखित में ग्रामीणो से वायदा किया गया कि उनकी कंपनी की तरफ से भविष्य में शिकायत का मौका नही मिलेगा।

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