आज का चिंतन(सुविचार)
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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..28-03-2021*..🎋
✍🏻संपन्नता मन की ही अच्छी होती है, धन की नहीं क्योंकि धन की संपन्नता अहंकार देती है और मन की संपन्नता संस्कार।
💐 *Brahma Kumaris* 💐
🌷 *σм ѕнαитι*🌷
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोड़ी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर शीतल हो जाता हैं। इसी प्रकार हम कितने भी क्रोध में, भय में, अशांति में रह लें, थोड़ी देर बाद-बोध में, निर्भयता में और प्रसन्नता में हमें आना ही होगा क्योंकि यही हमारा मूल स्वभाव है।
🌹 *σм ѕнαитι.*
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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*28 मार्च:-*_ पुराने संस्कारो की जलाओ होली और बन जाओ होली मतलब ईश्वर की होली पवित्र स्वच्छ सुद्ध निर्मल होली आत्मा।
🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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ओम शांति
*संसार रूपी कटु वृक्ष से अमृत तुल्य दो फल उपलब्ध हो सकते हैं, एक है मधुर वचनों का रसास्वादन और दूसरा है सज्जनों की संगति।*
*संसार कष्टों का भंडार है, पग-पग पर निराशाप्रद स्थितियों का सामना करना पड़ता है, इस परिस्थिति में दूसरों से कुछ मधुर वचन सुनने को मिल जाएं और सद्व्यवहार के धनी लोगों का सान्निध्य मिल जाए तो, तसल्ली हो जाती है।*
*मधुर वाणी और सद्व्यवहार अन्य लोगों को अपने कष्ट भूलने में सहयोग करते हैं, ताकि मधुर वाणी बोलने, और सज्जनों का सानिध्य पानेका अभ्यास करें।*
ॐ शांति
🙏 *सबका जीवन मंगलमय हो* 🙏
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*जब हम अपना दिन शुरू करें,*
*अपनी जेब में ये तीन शब्द रखें..*
*कोशिश, सच और विश्वास...*
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*कोशिश - बेहतर भविष्य के लिए*
*सच - अपने काम के साथ*
*विश्वास - ईश्वर में*
*तो सफलता निश्चित ही आपके कदमों में होगी।*
ॐ शांति
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*जब मन खराब हो*
*तब बुरे शब्द ना बोलें,*
*क्योंकि..*
*खराब मन को*
*बदलने के मौके बहुत मिल जायेंगे*
*लेकिन शब्दों को बदलने के मौके*
*फिर नहीं...मिलेंगे*.!!!!
ॐ शांति
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♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️
*जीवन वही है जो आप हैं 🏵️
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एक छोटे से गांव के बाहर एक सुबह ही सुबह एक बैलगाड़ी आकर रुकी थी। और उस बैलगाड़ी में बैठे हुए आदमी ने उस गांव के द्वार पर बैठे हुए एक बूढ़े से पूछा, इस गांव के लोग कैसे हैं? मैं इस गांव में हमेशा के लिए स्थायी निवास बनाना चाहता हूं। उस बूढ़े ने कहा: मेरे मित्र, अजनबी मित्र, इसके पहले कि मैं तुम्हें बताऊं कि इस गांव के लोग कैसे हैं, क्या मैं पूछ सकता हूं कि उस गांव के लोग कैसे थे, जिससे तुम आ रहे हो?
उस आदमी ने कहा: उनका नाम और उनका ख्याल ही मुझे क्रोध और घृणा से भर देता है। उन जैसे दुष्ट लोग इस पृथ्वी पर कहीं भी नहीं होंगे। उन शैतानों के कारण ही, उन पापियों के कारण ही तो मुझे वह गांव छोड़ना पड़ा है। मेरा हृदय जल रहा है। मैं उनके प्रति घृणा से और प्रतिशोध से भरा हुआ हूं। उनका नाम भी न लें। उस गांव की याद भी न दिलाएं।
उस बूढ़े ने कहा: फिर मैं क्षमा चाहता हूं। आप बैलगाड़ी आगे बढ़ा लें। इस गांव के लोग और भी बुरे हैं। मैं उन्हें बहुत वर्षों से जानता हूं।
वह बैलगाड़ी आगे बढ़ी भी नहीं थी कि एक घुड़सवार आकर रुक गया और उसने भी यहीपूछा उस बूढ़े से कि इस गांव में निवास करना चाहता हूं। कैसे हैं इस गांव के लोग?
उस बूढ़े ने कहा: उस गांव के लोग कैसे थे जहां से तुम आते हो? उस घुड़सवार की आंखों में आनंद के आंसू आ गए। उसकी आंखें किसी दूसरे लोक में चली गईं। उसका हृदय किन्हीं की स्मृतियों से भर गया और उसने कहा, उनकी याद भी मुझे आनंद से भर देती है। कितने प्यारे लोग थे। और मैं दुखी हूं कि उन्हें छोड़ कर मुझे मजबूरियों में आना पड़ा है। लेकिन एक सपना मन में है कि कभी फिर उस गांव में वापस लौट कर बस जाऊं। वह गांव ही मेरी कब्र बने, यही मेरी कामना है। बहुत भले थे वे लोग। उनकी याद न दिलाना। उनकी याद से ही मेरा दिल टूटा जाता है। उस बूढ़े ने कहा: इधर आओ, हम तुम्हारा स्वागत करते हैं। इस गांव के लोगों को तुम उस गांव के लोगों से भी अच्छा पाओगे। मैं इस गांव के लोगों को भलीभांति जानता हूं।
काश, वह पहला बैलगाड़ी वाला आदमी भी इस बात को सुन लेता। लेकिन वह जा चुका था।
लेकिन आपको मैं ये दोनों बातें बताए देता हूं। इसके पहले कि आपकी बैलगाड़ी पृथ्वी के द्वार से आगे बढ़ जाए, मैं आपको यह कह देना चाहता हूं कि इस पृथ्वी पर आप वैसे ही लोग पाएंगे जैसे आप हैं। इस पृथ्वी को आप आनंदपूर्ण पाएंगे, अगर आपके हृदय में आनंद की वीणा बजनी शुरू हो गई हो। और इस पृथ्वी को आप दुख से भरा हुआ पाएंगे, अगर आपके हृदय का दीया बुझा है और अंधकारपूर्ण है। आपके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है पृथ्वी! जीवन वही है जो आप हैं।
सत्य की किरण






