आज का सुविचार(चिन्तन) - fastnewsharpal.com
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आज का सुविचार(चिन्तन)

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..19-08-2021*..🎋


✍🏻धोखा खाने वाले को तो वक्त के गुजरने पर सुकून मिल ही जाता है मगर धोखा देने वाले को कभी सुकून नहीँ मिलता हैं।

💐 *Brahma Kumaris Daily Vichar* 💐

🌷 *σм ѕнαитι*🌷


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  💥 *विचार परिवर्तन*💥


✍🏻आदमी साधनों से नहीं साधना से महान बनता है, आदमी भवनों से नहीं भावना से महान बनता है, आदमी उच्चारण से नहीं उच्च-आचरण से महान बनता है।

🌹 *Brahma Kumaris Daily Vichar*🌹

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🙏 *ॐ शांति* 🙏


*क्रोध* करने पर ईश्वर की *अनुभूति* होना बन्द हो जाती है... यह सिद्ध करता है कि हम विकारों के कारण ही *ईश्वर* से दूर होते हैं, अन्यथा वो तो सदा ही हमसे बात करने के लिये खाली बैठा है।


🌸 सुप्रभात...


💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐

💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*19 अगस्त:-*_ मन की पवित्रता तभी आती है जब व्यक्ति अपना अहंकार छोड़कर दुसरो के लिए जीता है, दुसरो के लिए किया गया त्याग बलिदान व्यक्ति को निर्मल बनाता है।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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*ओम शांति ब्रह्मा मुख द्वारा निराकार शिव भगवानुवाच l* 

♥ प्रेम पवित्रता प्रतिज्ञा का यादगार है यह रक्षाबंधनl इससे ही जीवन बन जाता है, सुखदाई सुगंधित चंदन l ❤️

🇲🇰आज भी उस देवता जीवन का, भारतवर्ष में होता है गायन और पूजन l सभी मंदिरों में होता है उनका ही, भजन और कीर्तन l🇲🇰 

💐अनेक जन्मों से आश थी, हमारा भी हो ऐसा जीवन l इस पतित दुनिया में, उन देवताओं जैसा एक भी नहीं है पावन l💐 

👥अभी मैं परम पवित्र परमात्मा आकर, सभी को बांधता हूं पवित्र बनने का यह रक्षाबंधन l फिर से एक देवी-देवता धर्म, करता हूं मैं स्थापन l 🙇🏻‍♂️

☺️अब तोड़कर इस पतित दुखदाई कलयुग के, विकारी बंधन l मुझ परमात्मा पिता से, पावन बनने का बांधों कंगन l🌿 

🙇🏻‍♂️मेरी याद में रहो सदा मगन l बनाता हूं तुम्हें मैं, सर्व गुणों से, सर्व शक्तियों से ही संपन्न l 💪🏻

🌎यह सारा विश्व भी बन जाता है, खुशबूदार चमन lसोने के महलों में, तुम्हारे पास, हीरे मोती और अनगिनत होंगे रतन l 🌎

❤️किसी भी युग में किसी के भी पास नहीं होता है इतना धन l स्वयं भगवान करता है, तुम्हारे भाग्य का वर्णन l 🇲🇰

*21 जन्मो तक, सारे विश्व पर राज्य करोगे तुम, देवी देवता बन l*
🙏 *ॐ शांति* 🙏

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अनमोल वचनः

 जो कल था उसे भूलकर तो देखो, 
 जो आज हे उसे जी कर तो देखो, 
 आने वाला पल खुद ही सवर जाएगा, 
 एक बार ओम साईं राम बोल कर तो देखो

🙏ओम् शांति🙏

🌷आपका दिन शुभ हो 🌷

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💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐
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अनमोल वचनः

किसी बुरे मनुष्य को सुख भोगता हुआ देख हैरान न हों, क्योंकि उसका आज का सुख उसके पिछले जन्मों का फल है और आज जो वो बुरे काम कर रहा है वह भी उसको भोगना ही पड़ेगा क्योंकि सब कुछ वापस आता है,पुण्य और पाप भी...इसलिए यदि अपना आज और कल सुखमय बनाना है तो दूसरों को न देखें केवल खुद और खुदा पर ध्यान दें और हमेशा अच्छे कर्म करते रहें....  .

🙏ओम् शांति🙏

💐आपका दिन शुभ हो💐

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      ओम शांति
*रिश्तों में विश्वास मौजूद हैं तो*

*मौन भी समझ आ जायेगा*

*औऱ विश्वास नहीं हैं तो शब्दों से भी*

*गलतफहमी हो जायेंगी*
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      ॐ शांति
*जो लोग आपके पद प्रतिष्ठा*

*और पैसे से जुड़े हैं वो लोग*

*केवल सुख में आपके साथ*

*खड़े रहेंगे और जो लोग आपकी*

*वाणी विचार और व्यवहार से*

*जुड़े हैं वो लोग संकट में भी*

*आपके लिये खड़े रहेंगे*

*इसका मतलब ये नहीं के*

*पद प्रतिष्ठा वालों से मुँह मोड़ लो,*

*बल्कि जो आपके वाणी व्यवहार से*

*प्यार करते है, उन्हें मौका न देना की*

*वो कभी आपसे मुँह मोड़ें*

              🌹 *ॐ शांति* 🌹
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*मिलने की आस बंधाये रखना*

          *प्यार का खजाना लुटाए रखना*🌳

*हमारा शरीर कही भी रहे मेरे बाबा*🍃

      *हमारा मन बाबा में बसाये रखना*🍂


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♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️


*👉🏿गलत आहार का 🏵️गलत प्रभाव*

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"किसी नगर में एक भिखारिन एक गृहस्थी के यहाँ नित्य भीख मांगने जाती थी। गृहिणी नित्य ही उसे एक मुठ्ठी चावल दे दिया करती थी। यह बुढ़िया का दैनिक कार्य था और महीनों से नहीं कई वर्षों से यह कार्य बिना रुकावट के चल रहा था। एक दिन भिखारिन चावलों की भीख खाकर ज्यों ही द्वार से मुड़ी,गली में गृहिणी का ढाई वर्ष का बालक खेलता हुआ दिखाई दिया। बालक के गले में एक सोने की जंजीर थी। बुढ़िया की नीयत बदलते देर न लगी। इधर-उधर दृष्टि दौड़ाई,गली में कोई और दिखाई नहीं पड़ा। बुढ़िया ने बालक के गले से जंजीर ले ली और चलती बनी।

 घर पहुँची,अपनी भीख यथा स्थान रखी और बैठ गई। सोचने लगी,"जंजीर को सुनार के पास ले जाऊंगी और इसे बेचकर पैसे खरे करुँगी।" यह सोचकर जंजीर एक कोने में एक ईंट के नीचे रख दी। भोजन बनाकर और खा पीकर सो गई। प्रातःकाल उठी,शौचादि से निवृत्त हुई तो जंजीर के सम्बन्ध में जो विचार सुनार के पास ले जाकर धन राशि बटोरने का आया था उसमें तुरंत परिवर्तन आ गया। बुढ़िया के मन में बड़ा क्षोभ पैदा हो गया। सोचने लगी-"यह पाप मेरे से क्यों हो गया? क्या मुँह लेकर उस घर पर जाऊंगी?" सोचते-सोचते बुढ़िया ने निर्णय किया कि जंजीर वापिस ले जाकर उस गृहिणी को दे आयेगी। बुढ़िया जंजीर लेकर सीधी वहीं पहुँची। द्वार पर बालक की माँ खड़ी थी। उसके पांवों में गिरकर हाथ जोड़कर बोली-"आप मेरे अन्नदाता हैं। वर्षों से मैं आपके अन्न पर पल रही हूँ। कल मुझसे बड़ा अपराध हो गया,क्षमा करें और बालक की यह जंजीर ले लें।"

जंजीर को हाथ में लेकर गृहिणी ने आश्चर्य से पूछा-"क्या बात है? यह जंजीर तुम्हें कहाँ मिली?" भिखारिन बोली-"यह जंजीर मैंने ही बालक के गले से उतार ली थी लेकिन अब मैं बहुत पछता रही हूँ कि ऐसा पाप मैं क्यों कर बैठी?"

गृहिणी बोली-"नहीं, यह नहीं हो सकता। तुमने जंजीर नहीं निकाली। यह काम किसी और का है,तुम्हारा नहीं। तुम उस चोर को बचाने के लिए यह नाटक कर रही हो।"

"नहीं,बहिन जी,मैं ही चोर हूँ। कल मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी। आज प्रातः मुझे फिर से ज्ञान हुआ और अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए मैंने आपके सामने सच्चाई रखना आवश्यक समझा," भिखारिन ने उत्तर दिया। गृहिणी यह सुनकर अवाक् रह गई।

भिखारिन ने पूछा-"क्षमा करें,क्या आप मुझे बताने की कृपा करेंगी कि कल जो चावल मुझे दिये थे वे कहाँ से मोल लिये गये हैं।"

गृहिणी ने अपने पति से पूछा तो पता लगा कि एक व्यक्ति कहीं से चावल लाया था और अमुक पुल के  पास बहुत सस्ते दामों में बेच रहा था। हो सकता है वह चुराकर लाया हो। उन्हीं चोरी के चावलों की भीख दी गई थी।

भिखारिन बोली-"चोरी का अन्न पाकर ही मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी और इसी कारण मैं जंजीर चुराकर ले गई। वह अन्न जब मल के रूप में शरीर से निकल गया और शरीर निर्मल हो गया तब मेरी बुद्धि ठिकाने आई और मेरे मन ने निर्णय किया कि मैंने बहुत बड़ा पाप किया है। मुझे यह जंजीर वापिस देकर क्षमा माँग लेनी चाहिए।"

गृहिणी तथा उसके पति ने जब भिखारिन के मनोभावों को सुना तो बड़े अचम्भे में पड गये। भिखारिन फिर बोली-"चोरी के अन्न में से एक मुठ्ठी भर चावल पाने से मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो सकती है तो वह सभी चावल खाकर आपके परिवार की क्या दशा होगी,अतः, फेंक दीजिए उन सभी चावलों को।" गृहिणी ने तुरन्त उन चावलोंको बाहर फेंक दिया।"

                      

*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है-प्रयाप्त हे।*



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