*आजादी के अमृतवर्ष के अन्तर्गत--भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ भारतीय किसान, राष्ट्रीय किसान दिवस - fastnewsharpal.com
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*आजादी के अमृतवर्ष के अन्तर्गत--भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ भारतीय किसान, राष्ट्रीय किसान दिवस

 *आजादी के अमृतवर्ष के अन्तर्गत--भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ भारतीय किसान, राष्ट्रीय किसान दिवस




गोबरा नवापारा नगर

, किसान देश की शान है, वह त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है। 



वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। तपती धूप, कड़ाके कौ ठंड तथा मूसलाधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं सकती। भारत मुख्य रूप से गांवों का देश है और गांवों में रहने वाली अधिकांश आबादी किसानों की है और कृषि उनके आय का प्रमुख स्त्रोत है। वर्तमान समय में भारत की आबादी का 70% खेती के जरिए उत्पन्न आय पर निर्भर है।किसान भारत की आत्मा कहा जाता है, जिसे अन्नदाता की उपाधि प्राप्त है। कृषि ही किसान का जीवन है, यही उसकी आराधना है और यही उसकी शक्ति है। भारतीय किसान को धरती माता का सच्चा सपूत कहा जाता है। यह विचार इंदौर से पधारे मुख्यालय धार्मिक प्रभाग के संयोजक ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने ओम शांति कॉलोनी के ब्रह्माकुमारी के विशाल सभागृह में आजादी के 75 वर्ष अमृत महोत्सव के अंतर्गत किसान दिवस पर संबोधित करते हुए बताया।



ब्रह्मा कुमारीज की संचालिका ब्रह्मा कुमारी पुष्पा बहन ने बताया की माँ धरती की तरह करुणा का महासागर है। हमारे दिवंगत राष्ट्रपति श्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था (जय किसान जय जवान' । ब्रह्माकुमारीज का यह नारा है “जय किसान, जय जवान और जय ईमान' ।भारतीय किसान का समूचा जीवन उसके अपूर्व परिश्रम, ईमानदारी, लगन व कर्तव्यनिष्ठा की अद्भत मिसाल है।वह कर्मठ और सत्यता की मूर्ति है। भारतीय किसान बहुत ही मेहनती है। उसकी मेहनतकश-जिन्दगी को सारादेश नमन करता है। कृषक परिवार से महेश साहू ने मुख्य अतिथि के रूप में बताया कि किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करता हैं तभी वह हमारी थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना बेहद जरूरी है।माननीय अतिथि के रूप में हेमंत साहू, शासकीय व्याख्याता ने बताया कि किसान दिवस एक राष्ट्रीय अवसर है जो हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले किसानों को यह दिन समर्पित है। समृद्ध किसान समृद्ध भारत बनाने केलिए राष्ट्रीय किसान दिवस पूरे राष्ट्र में बड़े उमंग, उत्साह और रुचि के साथ मनाया जाता है।प्रकृति तथा परिस्थितियों की विषमताओं से जूझने की क्षमता भारतीय किसानों में विद्यमान है। आधुनिकतम वैज्ञानिक साधनों को अपनाकर वह खेती करने के अनेक तरीके सीख रहा है। पहले की तुलना में वह अब अधिक अन्न उत्पादन करने लगा है। शिक्षा के माध्यम से उसमें काफी जागरूकता आई है। वह अपने अधिकारों के प्रति काफी सजग होने लगा है। इस अवसर पर  कृषक एवं खाद बीज भंडार के मालिक प्रेम शंकर साहू ने  बताया कि यदि भारत को उन्नतिशील और सबल राष्ट्र बनाना है तो पहले किसानों को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाना होगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए ब्रह्मा कुमारी प्रिया बहन ने बताया कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी  की कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा एक आध्यात्मिक खेती पद्धति को विकसित किया गया है। जिसे शाश्‌वत यौगिक खेती परियोजना का रूप दिया गया है। जिसमें किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए भारत की ऋषि-कृषि परम्परा को पुन:स्थापित करने का क्रान्तिकारी कदम है। इसमें परम्परागत जैविक खेती के साथ राजयोग का समावेश किया गया है। यह एक ऐसी कृषि पद्धति है।जिसमें मन को परमात्मा से जोड़कर राजयोग की शक्ति का प्रयोग न केवल मनुष्यात्माओं पर बल्कि जीव-जन्तुओं,पेड़-पौधों पर करते हुए सम्पूर्ण प्रकृति को चैतन्य ऊर्जा के प्रकम्पनों से चार्ज किया जाता है। इससे धरती की उर्वराशक्ति पुनःस्थापित कर शुद्ध, सात्विक, पौष्टिक अनाज, फल तथा सब्जियों का उत्पादन होता है। यौगिक खेती पद्धति जीवन जीने की कला सिखाती है, जिसमें अनेकों किसानों ने अपना जीवन परिवर्तन किया है। इससे उन्होंने व्यसनों, बुरे संस्कारों, सामाजिक कुरीतियों तथा कर्ज मुक्त होकर फिर से अपना खोया हुआ आत्म सम्मान प्राप्त किया है। 

कार्यक्रम का शुभारंभ सभी ने दीप प्रज्वलित करके किया। अंत में सभी को धरती मां की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा कराई गई।

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