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जीवन ईश्वर का दिया हुआ सुंदर उपहार है -ब्रह्मा कुमार नारायण भाई

   जीवन ईश्वर का दिया हुआ सुंदर  उपहार है -ब्रह्मा कुमार नारायण भाई



 गोबरा नवापारा नगर

हम सभी से जाने-अनजाने में ना जाने कितनी गलतियाँ होती हैं किन्तु गलती का एहसास होना अर्थात अपने गलत कर्म का भान होना और गलती के लिए माफ़ी मांग लेना,उस गलती के बोझ को समाप्त कर देता है। 



गलती होना वास्तव में गलती तो है पर इतनी बड़ी नही,परन्तु अपनी गलती को महसूस ना करना यह उस से भी भारी गलती है।महसूस नही किया तो स्वयं के बदलने के द्वार बंद हो जाते हैं और वही गलती बार-बार दोहराई जाती है सच्चे दिल से माफ़ी मांगने का अर्थ है कि हम उस गलती को इतनी गहराई से महसूस करें कि दोबारा कभी भी किसी के भी साथ वो गलती ना दोहराएँ। अगर एक व्यक्ति बदला ले कर दूसरे को नीचा दिखाना चाहता है तो इस प्रयास में वह खुद भी नीचे उतर जाता है। दूसरी ओर क्षमा करके व्यक्ति स्वयं भी ऊँचा उठता है और सामने वाले को भी ऊँचा उठने की प्रेरणा देता है।यदि चित में ईर्ष्या,घृणा,द्वेष की अग्नि धधक रही है तो वह चित को भारी कर देती।ऐसा बोझिल मन भगवान के किस काम का जो पहले से ही भरा है,भगवान उसमे और क्या भरेंगे??? *इसलिए प्रतिदिन अपनी गलती के लिए क्षमा मांग कर और दूसरो की गलती के लिए क्षमा दे कर मन को खाली अवश्य कर लीजिये तभी शान्ति के सागर परमात्मा की शान्ति की किरणे अन्दर प्रवेश करेगी। यह विचार इंदौर से पधारे ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने ओम शांति कॉलोनी के ब्रह्माकुमारी सभागृह में ईश्वर से शांति प्यार केसे प्राप्त करें? इस विषय पर नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया। इस अवसर पर    ब्रहमा कुमारी प्रिया बहन ने जीवघात महापाप है इस विषय पर संबोधित करते हुए बताया कि जीवघात करना अर्थात परिस्तिथियो से मुख मोड़ना।जीवघात करने से शरीर तो छूट जाता है परन्तु हिसाब-किताब आत्मा में ज्यों का त्यों बना रहता है।आत्मा जहाँ भी जाए,कर्मो के बंधन,संस्कारों के बंधन उसके साथ ही रहते हैं।अत:परिस्तिथियो से मुख मोड़ कर जीवघात करना बहादुरी नही कमजोरी है।_

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