साहित्यकारों ने दी पवन दीवान को काव्यात्मक श्रध्दांजलि--- - fastnewsharpal.com
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साहित्यकारों ने दी पवन दीवान को काव्यात्मक श्रध्दांजलि---

 साहित्यकारों ने दी पवन दीवान को काव्यात्मक श्रध्दांजलि---



(त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम-नवापारा का गौरवशाली आयोजन)

  राजिम(गरियाबंद)

छत्तीसगढ़ के गाँधी के नाम से ख्यातिप्राप्त पूर्व सांसद,संत कवि पवन दीवान जी के जयंती के अवसर पर त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम जिला गरियाबंद के तत्वाधान में विचार संगोष्ठी एवम कवि सम्मेलन का आयोजन स्थानीय गायत्री मन्दिर परिसर में आयोजित किया गया।



कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मकसूदन साहू,"बरीवाला"अध्यक्ष त्रिवेणी संगम साहित्य समिति थे।अध्यक्षता समिति के संरक्षक मोहनलाल मणिकपन ने किया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में गीतकार रोहित साहू माधुर्य थे।कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे की वंदना के साथ हुआ।प्रिया देवांगन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया तो स्वागत उदबोधन के माध्यम से मोहनलाल माणिकपन,"भावुक" ने दीवान जी की पुण्य स्मृति को याद करते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य के जन्मदाता के रूप में याद किया।





मुख्य वक्ता के रूप में रोहित साहू"माधुर्य"ने कहा कि दीवान जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, साहित्य,समाज ,धर्म हो या राजनीति हर क्षेत्र में आपने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।इस अवसर पर उपस्थित सभी साहित्यकारों ने ब्रम्हलीन संत कवि पवन दीवान को अपनी अपनी काव्यांजलि के माध्यम से श्रधांजलि अर्पित किया।इस कड़ी में युवा कवि युगल किशोर ,"जिज्ञासु"ने कहा कि संगी मोर जैसे पवन चले के माध्यम से काव्य पाठ की सुमधुर प्रस्तुति दी। नवा रायपुर से पहुंचे युवा कवि नरेंद्र साहू,"पार्थ"ने दीवान जी पर शानदार रचना पढ़ते हुए कहा"धन्य हवय किरवई के भुइँया, धन्य ददा महतारी"इसी कड़ी में मंच को ऊँचाई प्रदान करते हुए कवि श्रवण कुमार साहू,"प्रखर"ने कहा कि धर्म की रक्षा करने हेतु मैं अधर्म भी अपनाऊंगा,एक नहीं लाखों करोड़ों भीष्म को राह से हटाऊंगा"प्रस्तुत कर महाभारत युद्ध का जबरदस्त वर्णन किया।कवि मकसूदन साहू बरीवाला ने दीवान जी के ऊपर लाजवाब रचना प्रस्तुत की।इश्क़ है ख़ता इश्क हमने किया के माध्यम से रामेश्वर रंगीला ने सुमधुर गजल प्रस्तुत करके माहौल को ऊँचाई प्रदान किया।युवा कवि किशोर निर्मलकर ने सुमधुर गीत के माध्यम से जबरदस्त उत्साह पैदा किया।इसी तारतम्य में गीतकार कोमल सिंह साहू,ने छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया नारा ल तेहा देवैया प्रस्तुत करके स्मृति को समृद्ध किया।परमेश्वर साहू ने लाजवाब कायाखण्डी रचना पढ़े।तो वरिष्ठ कवि संतोष साहू ,प्रकृति"ने छत्तीसगढ़ी बड़ी पर हास्य व्यंग्य रचना "वाह रे रखिया बरी, तोर निकलथे करी करी"पढ़कर खूब वाहवाही लूटी।युवा कवि छग्गु यास अड़ील ने प्रेरक रचना पढ़ते हुए कहा, तेरा हर सपना पूरा होगा,कर्म कर,कर्म कर पढ़कर बुलन्दी पर पहुँचाया।कार्यक्रम का संचालन संतोष साहू,"प्रकृति"ने किया।आभार प्रदर्शन रामेश्वर रंगीला ने किया।

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