सेठ फूलचंद अग्रवाल स्मृति महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम राजिम पुन्नी मेला में दे रहे श्रमदान व विभिन्न सेवा - fastnewsharpal.com
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सेठ फूलचंद अग्रवाल स्मृति महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम राजिम पुन्नी मेला में दे रहे श्रमदान व विभिन्न सेवा

 सेठ फूलचंद अग्रवाल स्मृति महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम    राजिम पुन्नी मेला में दे रहे श्रमदान व विभिन्न सेवा




गोबरा नवापारा नगर

 राजिम माघी पुन्नी मेला में लगातार भीड़ बड़ रही है जहाँ सरस मेला कि प्रदर्शनीय विभिन्न विभागों का स्टॉल लगा है लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। अपनी आवश्यकता के अनुरूप खरीददारी कर रहे इस पुन्नी मेला में राजिम भक्तिन मंदिर समिति, युवा प्रकोष्ठ, लोमश ऋषि आश्रम में गोकुल गिरी महाराज, सिद्धी विनायक आश्रम में श्री उमेशानंद गिरी महाराज पहुँचाने वाले श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क भोग भंडार की व्यवस्था की गई है। इन भंडारों में भोजन प्रसादी लेने बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण शामिल हो रहे है। वही सेठ फूलचंद अग्रवाल स्मृति महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम विशेषकर राजिम भक्तिन मंदिर स्टॉल में लगातार अपनी सेवायें दे रहे है। डॉ. आर के रजक कार्यक्रम अधिकारी प्रत्येक दिन अलग-अलग समूह में स्वयंसेवकों को भेजकर भंडारे में श्रमदान कर श्रद्धालुओं को भोजन बाँटने में सहयोग प्रदान कर रहे है जिसमें मोनिका, साक्षी, प्रियंका, मूलचंद, काजल, पारख, अजित, टकेश्वरी, मितेश, टुकेश, लक्ष्मीनारायण, विकास, रेखचंद, रोहित, तुलसी, यामिनी, गोपीचंद, तारणी, चितरंजन, मृत्यंुजय, नितलेश सहित 52 स्वयंसेवक डटे हुए है।







 इस प्रसादी भंडारे में छत्तीसगढ़ के अनेक गाँव, शहर के श्रद्धालुगण इनकी सेवायें देखकर अपने आप को नही रोक पा रहे है और इन स्वयंसेवकों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते है। डॉ. रजक ने बताया कि हमारी इकई प्रतिवर्ष मेला में निःस्वार्थ भाव से सेवा कर अपनी एक अलग पहचान बनायी है। प्रत्येक वर्ष नियमित गतिविधि के अंतर्गत एक दिन मुक्तिधाम जाकर स्वच्छता अभियान का मुहिम चलाते है जहाँ छात्राएं भी शामिल होते हैै। शासन के द्वारा लगाये गये यह मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ-साथ मुंबई के लेसर शो आम लोगों का मन मोह रहा है। ग्रामीण व स्वयंसेवकों का कहना है कि इस विशाल आयोजन में जगतगुरू, शंकराचार्य, पीठाधीश, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर व अनेक संतों का विगत तीन वर्षों से दर्शन नही हो पा रहे है। ग्रामीण उनका आशीर्वाद एवं दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में आते थे जिससे मेला की रौनकता और बढ़ जाती थी।

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