*जहा विद्या की देवी सरस्वती है वहां सुख शांति की जीवन में सदा बसंत बहार है*
*जहा विद्या की देवी सरस्वती है वहां सुख शांति की जीवन में सदा बसंत बहार है*
, नवापारा, नगर 5 फरवरी,
जहां विद्या का वास होता है वहाँ पतझड़ में बसंत आ जाता है और जहां विद्या के नाम पर बाहरी दिखावा, शिक्षा,अभिमान का वास होता है वहां पतझड़ ही पतझड़ आ जाता है । विद्या अर्थात सत्य ज्ञान है, वहां सर्व देवी गुण स्वत चले आते हैं जैसे सत्यता, सत्यता से अंतर्मुखता, निर्भयता, हर्षितमुक्तता, संतुष्टता। विद्या अर्थात सदाचारी, ब्रहमचारी, शिष्टाचारी, मन निर्मल, पवित्रत विचार से ओत प्रोत होना। आज मानव शिक्षित तो है संस्कारित नहीं , सभ्य है लेकिन सिविलाइज नहीं। विद्या की देवी सरस्वती का जीवन में स्थान नहीं होने के कारण मानव जीवन में सुख-शांति, आनंद, विवेक, हर्षोल्लास का पतझड़ आ गया है, कारण यह कि आज की शिक्षा में ज्ञान का समावेश नहीं होने के कारण।
आज की शिक्षा चेतना में जड़ता पैदा कर रही है अर्थात सत्य असत्य की समझ नहीं होने के कारण मानव मूल कर्तव्य से विमुख होता जा रहा है। जीवन में अभिमान, अहंकार प्रवेश होने के कारण चारों को दुख अशांति, तनाव, चिंता डर पैदा होते जा रहे हैं। सत्य,असत्य की परख खत्म होती जा रही है जिसके कारण संस्कारों में गिरावट आती जा रही है ।आज मानव अपनी देवी मर्यादाओं को भुल आसूरी मर्यादाओं की ओर अग्रसर होता जा रहा है। यह विचार इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के जोनल कोऑर्डिनेटर ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने ओम शांति कॉलोनी के ब्रह्माकुमारी सभागृह में बसंत पंचमी के अवसर पर नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया । ब्रम्हाकुमारी पुष्पा बहन ने बताया आज के दिन मां-बाप अपने बच्चों को पहला अक्षर लिखाना पढ़ाना किया जाता है ,बच्चा पढ़ लिख कर शिक्षित तो हो जाता है परंतु सुसंस्कारित नहीं ।कारण कि ज्ञान या विद्या की कमी के कारण सत्य ज्ञान का अभाव। ब्रम्हाकुमारी प्रिया ने बताया बच्चों को अगर यह शिक्षा के साथ ज्ञान दिया जाए कि आप देह नहीं, एक चैतन्य आत्मा है, सभी आत्माये भाई भाई है। हम सर्व आत्माओं का पिता परमात्मा शिव एक है। तो सभी भेदभाव, ऊंच-नीच ,जाति पाती खत्म हो जाती है। समाजसेवी रुचिशर्मा बहन ने बताया विद्या किताबी ज्ञान से नहीं बल्कि साधना , अंदर की गहराइयों में उतरने से विद्या आती है तभी अज्ञानता ,आलस्य, सुस्ती से छुटकारा पा सकते हैं। सृष्टि में हर्ष, उल्लास, खुशी, शांति ,सुख, आनंद का संचार का बयार मां सरस्वती की कारण से बहता है। इसलिए आज के दिन सरस्वती की उपासना करते हैं। कार्यक्रम में सबसे पहले मां सरस्वती जगदंबा की पूजा अर्चना की , ब्रहमा कुमार नारायण भाई ,ब्रह्मा कुमारी प्रिया बहन ब्रह्माकुमारी पुष्पा बहन, रूचि,शिक्षक हेमंत साहू व सभी ने पुष्प अर्पित किए।