दवा कटु हो या मधुर पर आरोग्य प्रदान करती हैं~आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
दवा कटु हो या मधुर पर आरोग्य प्रदान करती हैं~आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
सुरेन्द्र जैन/धरसींवा
सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर में विराजमान संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने भक्तों को संदेश दिया कि संक्षेप में भी बड़े कार्य हो जाते है, जिस प्रकार दवा दवा होती हैं चाहे कटु हो या मधुर पर आरोग्य पाने के लिए लेनी पड़ती है, यह अलग बात है कि सभी लोग आरोग्य चाहते हैं और दवा भी सिर्फ़ मधुर चाहते हैं। अनंत काल से हम जो रोगी बने हुए है पर उचित वैद्य नहीं मिला, जिस प्रकार विषयो के सेवन से रोग होते हैं, जायका रूपी पैसा आजकल एक ऐसा रोग है, क्योंकि खीर खाकर भी पाचन नही होने से खट्टी खट्टी सी डकार आती है इसलिए खट्टी डकार ठीक हो जाने के लिए कुण्डलपुर के बाबा की दवाई मिल जाए सब रोग ठीक हो जायेगे। आज का युग ऐसा है कि पैसों से स्वाद निर्मित किया जा रहा हैं और जब छापा पड़ता है तो सब कुछ धरा रह जाता हैं। मुंह कड़वा लगता है तो समझ लीजिए पर जीवन का सही स्वाद वही लेता है जो ज्ञानी होता है। लोग पड़ लिखकर शिक्षा तो प्राप्त कर लेते हैं पर विश्वास हासिल नहीं कर पाते क्योंकि अक्षरों पर किसी का भरोसा नहीं बचा है, गुरु पर विश्वास हासिल करने के लिए एकलव्य बनना चाहिए। भीतर से आत्मा समरूप है, संचय काल चल रहा है पैसे की बचत, समय की बचत करनी चाहिए। आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति भाव से आहार देने का सौभाग्य ब्रा धीरज भैया राहतगढ़ को प्राप्त हुआ। ज्येष्ठ निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने बड़े बाबा मंदिर पहुंचकर बड़ेबाबा के दर्शन किए और मंदिर परिसर, सहस्त्र कूट जिनालय निर्माण कार्य का अवलोकन किया इस अवसर पर ट्रस्ट कमेटी अध्यक्ष संतोष सिंघई, अनिल मम्मा, अटल राजेंद्र जैन, महेन्द्र जैन सोमखेड़ा, डॉ आर के बजाज सहित सैकड़ों भक्तो की उपस्थिति रही।