आज का सुविचार(चिन्तन)
💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..10-03-2022*..🎋
✍🏻मनुष्य कितना मूर्ख है प्रार्थना करते समय समझता है कि भगवान सब सुन रहा है पर निंदा करते हुए ये भूल जाता है।
💐 *Brahma Kumaris Daily Vichar* 💐
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻व्यक्ति यदि परिस्थितियों को दोष देता रहे कि परिस्थितियाँ ही ऐसी हैं कि हमें सुधरने नहीं देती तो वह कभी भी सुधर नहीं सकता अतः वर्तमान में जिस भी स्थिति में हैं उसी में रहकर अपने आपको ऊँचा उठाने का प्रयास करें।
🌹 *Brahma Kumaris Daily Vichar*🌹
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आंतरिक बल 315
- आज्ञा चक्र 15 -मन - साधना का केन्द्र
-हमारे दिमाग में जिस स्थान पर भगवान को याद करते है एक यंत्र/केन्द्र होता है जिसमे ऐसी तरंगे बनती है जो भगवान तक पहुंचती है । अभ्यास से ये केन्द्र मजबूत बनता है और उससे ऐसी तरंगे निकलती हैं जो निरंतर हमे भगवान की याद आती रहती है ।
-योग के समय ये तरंगे कैसे चलती हैं कोई नहीं जानता । ये तरंगे एक सिस्टम से चलती हैं । सिर में पतालू वाले स्थान पर जो बच्चे के जन्म के समय कोमल होता है, वहां शक्ति का केन्द्र/यंत्र होता है जिसे सहस्त्रार कहते हैं । इस सहस्त्रार में वह तरंगे बनती हैं जो भगवान तक पहुँचती हैं । यह तरंगे बहुत शक्तिशाली होती हैं । सहस्त्रार का यह भाग आज्ञा चक्र से नियंत्रित होता है ।
- भगवान को तरंगे भेजने का अनटीना हमारे नाक के अन्दर है जहां नाक की हड्डी बढ़ जाने पर ऑपरेशन करवाते हैं । यहां एक बहुत छोटा सा सुराख होता है बस इसी सुराख में अनटीना होता है । जहां से तरंगे भगवान के पास आती जाती है । ये अनटीना स्थूल शरीर में नही इसके अंदर सूक्ष्म शरीर है उसमे होता है ।
-यह तरंगे आकाश में यों सीधी नही जाती । राकेट की तरह गोल गोल घूमती हुई चलती हैं ।
-हमारे मन से निकली तरंगे घुमती हुई पृथ्वी के उतरी ध्रुव पर जाती हैं । वहां से तरंगे सूर्य के पास जाती हैं ।सूर्य से तरंगे भगवान के पास जाती हैं ।भगवान से शक्ति इसी रास्ते से हमे वापिस प्राप्त होती हैं ।
-टी. वी. डिश छतरियों का मुँह सूरज की ओर रखा जाता है क्योंकि सूर्य स्थिर है और वहां से सिगनल लगतार प्राप्त कर सकते हैं तथा पृथ्वी के साथ घूमते हुये छतरी की दिशा सदा सूर्य की ओर रहती हैं ।
- हमारे विचार उतरी ध्रुव से होते हुए भगवान तक आते जाते है । उत्तर दिशा की ओर मुँह करके योग लगाएं तो तरंगों के आने जाने में सुविधा होगी । हम चाहे मुँह किसी भी दिशा की ओर कर के बैठें तो तरंगे इसी रास्ते से जायेंगी । जैसे हमे सुनाई कानो से ही देता है चाहे वह किसी भी दिशा में हो, सुनने का और कोई रास्ता नही है ।
-हमे योग में नीद क्यों आती है । नींद का केन्द्र और योग का केन्द्र साथ साथ है । शुरु में योग का केन्द्र कच्चा होता है और हम योग लगाते है तो यह केन्द्र थोड़ा ऊपर उठता है, जिस से नींद के केन्द्र पर दवाब पड़ता है और हम सो जाते हैं । योग का केन्द्र पक्का हो जाने पर नींद नही आती ।
-उड़ान भरते समय राकेट में बहुत शक्तिशाली इंजन लगाया जाता है । यान को कुछ गति देने बाद वह गिर जाता है । फ़िर कुछ गति के बाद दूसरा इंजन गिर जाता है यान का भार कम हो जाता है । अन्त में विद्युत उर्जा से यान चलता है ।
- ऐसे ही भगवान को याद करते समय जो तरंग बनती है उसकी तीन परत होती हैं ।
-पहली परत प्रकृति के पांच तत्वों की बनी होती है जो सूक्ष्म वतन तक जाती है। वहां यह परत ख़त्म हो जाती है । दूसरी परत सूक्ष्म शरीर के तत्वों की होती है । यह परत सूक्ष्म लोक अर्थात ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी और शंकर पुरी तक जाती हैं । शंकर पुरी में ये परत ख़त्म हो जाती है । उसके बाद एक सूक्ष्म तरंग होती है जो आत्मा की एनर्जी अर्थात पवित्रता से बनती है वह परमधाम भगवान के पास पहुँचती है । इस तरंग को शायद न्यूट्रियो कहते हैं ।
- साधना करते समय, अमृत वेले पूर्व दिशा और बाकी समय उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठने से भगवान से तरंगे प्राप्त करने में सही सुसंगति बन जाती है ।
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