कलेक्टर नम्रता गांधी के पास राशन कार्ड की अर्जी लेकर मिलने पहुंची दिव्यांग युवती,देखते ही कलेक्टर नम्रता गांधी ने दिव्यांग रोहणी यादव को दिए बैटरी चलित ट्राई साइकिल व राशन कार्ड ___
कलेक्टर नम्रता गांधी के पास राशन कार्ड की अर्जी लेकर मिलने पहुंची दिव्यांग युवती,देखते ही कलेक्टर नम्रता गांधी ने दिव्यांग रोहणी यादव को दिए बैटरी चलित ट्राई साइकिल व राशन कार्ड ___
तेजस्वी यदु/छुरा
फिंगेश्वर विकाश खंड के ग्राम लोहरसी की गरीब दिव्यांग 40 वर्षी कुमारी रोहणी पिता बलदाऊ यादव ने गरियाबंद जिला कलेक्टर नम्रता गांधी के पास राशन कार्ड की अर्जी लेकर मिलने पहुंची।देखते ही कलेक्टर गांधी ने पहले अपने कर्मियों को बोलकर व्हील चेयर मंगवाई तब 40 वर्षीय कुमारी रोहणी यादव से हाल चाल जानी।उन्होंने कलेक्टर गांधी को बताई कि उनके नाम से पहले निहशक्त जन हेतु निःशुल्क राशन कार्ड बनाए गए थे।जिसमे 10किलो चावल /माह मिलता था।वर्तमान में उक्त राशन कार्ड को निरस्त कर फैमली राशन कार्ड के साथ जोड़ दिया गया था। जिससे शासन द्वारा मिलने वाली अन्य लाभ नहीं मिल पा रहा था।आवेदन पर गौर करते कलेक्टर नम्रता गांधी ने खाद्य विभाग के अधिकारी को आदेशित कर तत्काल राशन कार्ड एवं समाज कल्याण विभाग से बैटरी चलित ट्राई साइकिल रोहणी यादव को प्रदान करवाई। जिसके लिए रोहणी ने कलेक्टर नम्रता गांधी को व खाद्य विभाग अधिकारी जे एल नायक,एवं समाज कल्याण विभाग अधिकारी डी. पी.ठाकुर को धन्यवाद ज्ञापित किए साथ ही दिव्यांग कल्याण संघ के जिलाध्यक्ष जागेश्वर साहू, सामाज प्रमुख तरुण निर्मलकर,संतोष यादव ने भी जिला प्रशासन के त्वरित कार्यवाही की प्रशंसा की।
* रोहणी व उनके पिता को नहीं मिला पी. एम.आवास
बता दे की कुमारी रोहणी यादव अपने पिता 70 वार्सिय बलदाऊ राम यादव के साथ रहती है । रोहणी यादव बचपन से ही पोलियो ग्रस्त दिव्यांग है,उस समय गरीबी परिस्थिति के कारण पढ़ाई नहीं कर पाई ।एक छोटी सी मिट्टी की खपरैल वाली झोफड़ी नुमा घर में रहती है।अब तक उसे व उनके परिवार को न आवास मकान मिल पाया और न ही शौचालय बन पाए।
* लोहारसी पंचायत ओ डी एफ हो गया लेकिन एक दिव्यांग को नहीं मिली शौचालय,क्षेत्रीय अधिकारी सुध लेने भूले
आप यह बता दे कि सरकार द्वारा चलाये स्वक्षता अभियान के तहत फिंगेश्वर जनपद के पूरा पंचायत ओ. डी.एफ.हो गया पर एक दिव्यांग महिला को अभी भी गांव घर से 2 किमी दूर बाहर शौच हेतु जाना पड़ता है।उन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में बहुत ही तकलीफ़ होती है। आप समझ सकते है कि गांव के धनिको को शौचालय के साथ साथ पी एम आवास मिल गया लेकिन गांव की एक गरीब बेटी जिसका परिवार झोफ्री में रहती है रोज शाम सुबह जमीन पर हांथो के सहारे घसीट हुई गांव के बाहर शौच करने जाती है या तालाब नहाने जाती उसके घर पर शौचालय नहीं बन पाई आवास मकान तो बहुत दूर की बात है।लेकिन ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को इससे कोई मतलब नही बस अपना बनना चाहिए।

