ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने जन्माष्टमी मनाये जाने पर ज्योतिष शास्त्र अनुसार कहा --
ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने जन्माष्टमी मनाये जाने पर ज्योतिष शास्त्र अनुसार कहा ---
नवापारा (राजिम)
लीला पुरुषोत्तम,पूर्णावतार, योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी आज ही मनाई जाएगी, उनकी प्राकट्य स्थली मथुरा, लीलास्थल गोकुल, बृंदावन व द्वारिकापुरी में तथा विश्व के समस्त इस्कॉन मन्दिरों में आज शुक्रवार को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है, ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने स्पष्ट किया कि इस पर्व को मनाने के अपने अपने मत मतान्तरो के कारण एवम देश के विभिन्न पंचांगों में 18 एवम 19 अगस्त दोनों दिन अष्टमी तिथि दिए होने के कारण यह असमंजस की स्थिति बन गई है, स्मार्त, शैव मतावलंबी अपने मत परंपराओं के कारण 18 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखे, जबकि वैष्णव परंपराओं को मानने वाले आज जन्माष्टमी मना रहे हैं पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने बताया कि 18 अगस्त गुरुवार को सप्तमी तिथि रात्रि 9:21 को समाप्त हो गई और अष्टमी तिथि लग गई , भगवान श्री कृष्ण का जन्म काशी विद्वत परिषद्,जगन्नाथ पुरी एवम तिरुपति के ज्योतिष गणनाकारों के अनुसार आज से लगभग 5249 वर्ष पहले द्वापर युग में मथुराधीश कंस के कारागार में भादौ मास की अष्टमी बुधवार को आधी रात को हुआ, उस समय सूर्य सिंह व चन्द्रमा वृषभ राशि में था, "सिंह राशिगते सूर्य गगने जलदाकुले, मासि भद्रे, अष्टम्याम कृष्ण पक्ष अर्द्धरात्रिके, वृष राशि स्थित चंद्रे, नक्षत्रे रोहिणी युते"आज तिथि, वार, नक्षत्रों व ग्रहों से मिलकर कुल 8 शुभ योग बन रहे हैं और ऐसा 400 सालों के बाद हो रहा है,ध्रुव, छत्र, महालक्ष्मी व बुधादित्य नाम के शुभ योग तथा भारती, हर्ष, कुलदीपक व सत्कीर्ति नाम के राजयोग बन रहे हैं श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात के आठवें मूहर्त में हुआ था जो आज मिल रहा है और यह मुहूर्त आज रात 12:05 से 12:45 बजे तक रहेगा, इसलिए भी आज ही जन्माष्टमी मनाया जाना श्रेयस्कर होगा, इस महायोग में भगवान का व्रत एवम पूजन महाफलदाई होगा, शास्त्र आज्ञा है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवम महाशिवरात्रि प्रत्येक मनुष्य को चाहे वृद्ध, रोगी या प्रसूता स्त्री हो , सबको करना चाहिए, इससे उनके त्रि जन्म पापों का नाश होता है, और मनोकामना पूरी होती है, प्रातः स्नान ध्यान के बाद संकल्पित होकर व्रत प्रारम्भ करना चाहिए, रात्रि निशीथ काल में भगवान का पञ्चामृत से अभिषेक पूजन कर उनको माखन मिश्री व पंजीरी का भोग लगाना चाहिए, और इस मोह निशा में जागते हुए भगवान श्रीकृष्ण का भजन संकीर्तन करना चाहिए, "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र की जपमाला विशेष फलदाई होती है, दूसरे दिन शनिवार को अपने व्रत का पारणा करना चाहिए व नंदोत्सव मनाना चाहिए, हो सके तो गौशाला में जाकर गऊ को हरी घास, गुड़ खिचड़ी खिलानी चाहिए और भूखों को भोजन कराना चाहिए।.