*गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध तक भारत स्वतंत्र नहीं कहा-जैन आचार्य विद्यासागरजी* - fastnewsharpal.com
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*गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध तक भारत स्वतंत्र नहीं कहा-जैन आचार्य विद्यासागरजी*

 *गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध  तक भारत स्वतंत्र नहीं कहा-जैन आचार्य विद्यासागरजी*



*आचार्यश्री ने कहा गांधी जी कहते थे गाय अहिंसा की कविता है*

     सुरेन्द्र जैन/धरसींवा 

अंतरिक्ष पारसनाथ में चातुर्मास कर रहे महान तपस्वी दिगंबर जैनाचार्य 108 विद्यासागर जी महामुनिराज ने कहा है कि गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध ओर देश में पूर्ण शराबबंदी तक भारत को स्वतंत्र नहीं कहा जा सकता।

  आचार्यश्री विद्यासागरजी ने कहा कि इस युग का प्रारंभ हुआ और वृषभनाथ के पूर्व जो कुलकर हुये उन्होंने भी गायों को सुरक्षित रखने का ही उपदेश दिया है। लेकिन पश्चिमी सभ्यता के कारण भारतीय सभ्यता गायब हो गयी है  दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्होंने कहा कि भारत के पास  कृषि विज्ञान इतना उन्नत था कि उस समय एक कुंटल धान से 56 क्विंटल धान निकलता था। भारत की भूमि तो सोना उगलती थी इसीलिये उस समय का किसान सुखी था लेकिन विदेशी हवा से  बैल के स्थान पर टेक्टरों ने ले लिया उपरोक्त कारणों से पशुओं का संरक्षण समाप्त हो गया। जो गोवर की खाद स्वतः खेतों मैं वन जाती थी लेकिन आज आप लोग खाद के लिये भी विदेश जा रहे हो। 

उन्होंने भारत की राजनीति को आड़े हाथ लेते हुये कहा कि भारत का पूर्व का इतिहास को पढाया ही नहीं जाता "आज लोकतंत्र के स्थान पर लोभ तंत्र हो गया है", हर व्यक्ति धन की ओर भाग रहा है। कैसे धन इकट्ठा हो। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन उन्नत बनेगा तो राष्ट्र भी उन्नत वनेगा। उन्होंने यःश्रीसःगौ ये चार अक्षरों को हमारे ग्रंथों में लिखा है।

 गाय को कामधेनु कहा जाता है इसके दुग्ध से कई महारोग समाप्त हो जाते है। गाय और भैस पालतु पशु है इनको पालना आपका कर्तव्य है। जंहा दवाई काम नहीं करती वहां दुआ काम करती है। आचार्य श्री ने कहा कि आपके घर में यदि कोई बछड़ा कम हो जाता है तो उसका भी सूतक माना जाता था क्यों कि वह गाय भी परिवार का ही अंग होती थी, उन्होंने कहा कि एक गाय १२-१३ बछड़ों को जन्म देती है प्राचीन काल में उनको सभी परिवार आवश्यक रुप से पालते थे और उसका शोर सूतक भी मानते थे राजस्थान के गांवों में तो आज भी गाय को परिवार का अंग मानकर शोर सूतक माना जाता है। 

गांधी जी ने कहा था कि गाय अहिंसा की कविता है। आचार्य श्री ने कहा कि जब तक भारत में गौ हत्या, और नशा वंदी नहीं होगी तब तक भारत को स्वतंत्र नहीं कहा जा सकता। गाय को कामधेनु कहा गया है, इनके थनों से स्वमेव दूध झरता है। उन्होंने एक दृश्य की चर्चा करते हुये कहा कि गाय के थनों से बंदर, कुत्ते सुअर आदि जानवरों  को भी अपना दूध पिलाती है, वह उनका प्रतिकार नहीं करती। उन्होंने कहा कि "गायों का पालन आप लोग नहीं कर रहे वल्कि गाय आपके परिवार का पालन पोषण कर रही है" उस गाय का आप लोग उपकार मानो। आचार्य श्री ने कहा अहिंसा की जड़े बहूत दूर तक फैली हुई है यह तो तीर्थंकर की वाणी से निकली हुई ऐसी वाणी है जो कभी समाप्त नहीं हो सकती।

आचार्य श्री ने चार अक्षरों की कविता "यः" "श्री" "सः" "गौ" सुनाते हुये कहा यह तो आपके ही ग्रंथ "धवला" की पक्तियाँ है । उन्होंने कहा कि भारत में गाय कभी विकती नहीं थी लेकिन आजकल धन के लोभी हो गये है। पहले गांव में घी दूध की नदियाँ वहती थी लेकिन आजकल तो मठा भी विकने लगा है।उन्होंने कहा कि भारत से यदि टेक्टर खेती समाप्त हो जाऐ तो किसान लोग पशुओं की रक्षा करेंगे। लेकिन पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव इतना अधिक है कि लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे और यही जीवदया के बाधक तत्व है। आचार्य श्री ने दयोदय महासंघ परिवार को आशीर्वाद देते हुये कहा की इन दस दिनों में उत्तम त्याग का दिन आप लोगों के लिये सुरक्षित है और आप लोग जो कार्य कर रहे है वह जीव दया के लिये वहूत ही आवश्यक तत्व है।

इस अवसर पर दयोदय महासंघ के नव नियुक्त महामंत्री राकेश जैन लालाजी अशोकनगर ने दयोदय महासंघ परिवार की ओर से पूज्य गुरूदेव को नमोस्तु निवेदित करते हुये कहा कि करूणा की यह गौ शालाऐं आज पूरे देश में अपना कार्य कर रही है, जिसमें भारत ही नहीं वल्कि विदेशों से भी हमें धन राशि प्राप्त हो रही है। उन्होंने आचार्य श्री के समक्ष पूरे भारत  ही नहीं वल्कि सभी १३६ देशों के लोगों को विश्वास दिलाते हुये कहा कि  आपके द्वारा दिया गया दान जो कि गौ वंश की सुरक्षा के लिये दिया जा रहा है उस धन का पूरा उपयोग गौ वंश की सुरक्षा एवं गौ शालाओं को आत्म निर्भर वनाने के लिये किया जाऐगा। दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि इस अवसर पर भारत की कई विभूतियों ने ग्यारह लाख रूपये का दान देकर दयोदय महासंघ के इस कार्य की सराहना की उनमे महा शिरोमणि संरक्षक श्री अशोक जी पाटनी संरक्षक श्री प्रभात जी जैन मुंवई, श्रीराजा भैया सूरत श्री राकेश जैन (महामंत्री) अशोक नगर, राजीव भैया चन्देरी, निर्मल जी झांझरी, सौभाग्य मल कटारिया, माधवराव जी, सतीश नजा ललितपुर, आदि है तथा मंच के माध्यम से लगभग 100 लोगों ने एक लाख ग्यारह हजार रूपये का दान की घोषणा कर दयोदय महासंघ के सूत्रधार वने सभी दान दातारों का दयोदय महासंघ परिवार की ओर से अध्यक्ष श्री प्रेमचंद्र जैन प्रेमी कटनी, खुशाल भाई सी.ए. तथा तुषार कोठारी मुंबई और सभी पदाधिकारियों ने उनका साल श्री फल एवं प्रतीक चिंह से अभिनंदन किया। इस अवसर पर दयोदय महासंघ से संबधित सभी गौ शालाओं के पदाधिकारी एवं प्रतिनिधि उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन अमित जैन पड़रिया  जवलपुर ने किया।


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