आरक्षण कटौती के विरोध में जुटे हजारों आदिवासी, गरियाबंद तिरंगा चौक से लेकर कलेक्ट्रेट तक निकाली आक्रोश रैली - fastnewsharpal.com
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आरक्षण कटौती के विरोध में जुटे हजारों आदिवासी, गरियाबंद तिरंगा चौक से लेकर कलेक्ट्रेट तक निकाली आक्रोश रैली

आरक्षण कटौती के विरोध में जुटे हजारों आदिवासी, गरियाबंद तिरंगा चौक से लेकर कलेक्ट्रेट तक निकाली आक्रोश रैली



गरियाबंद 

आरक्षण कटौती के विरोध में जुटे हजारों आदिवासी, गरियाबंद तिरंगा चौक से लेकर कलेक्ट्रेट तक निकाली आक्रोश रैली









आरक्षण में कटौती के विरोध में आदिवासी समाज के द्वारा शुक्रवार को ज़िले में विरोध प्रदर्शन किया गया। ज़िला मुख्यालय में समाज के सदस्यों व छात्र-छात्राओं ने हज़ारो की संख्या में विशाल रैली निकाली। रैली कलेक्ट्रेट पहुंची।


दोपहर 12 बजे मजरकटट्टा आदिवासी समाज भवन में बड़ी संख्या में समाज के लोग जमा हुए। रैली मेंन रोड तिरंगा चौक होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची। यहां कलेक्टर को राष्ट्रपति, राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा करने व समाज के अधिकारों के संरक्षण की मांग की गई है।



आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले शुक्रवार को जिले के आदिवासियों ने आरक्षण कम किए जाने के मुद्दे को लेकर जंगी रैली निकाली हैं। इनकी नाराजगी और विरोध प्रदर्शन इस बात को लेकर है कि प्रदेश में आरक्षण कम कर दिया गया है।

बताया जाता है कि पहले 32% प्रतिशत आरक्षण था, इसे कम कर 20% किए जाने को लेकर जमकर नारेबाजी की गई,

आदिवासी का गौरवशाली इतिहास रहा हैं, बाहरी ताकतों ने इसे कुचलने का प्रयास किया है, लेकिन आदिवासी समाज ने हर चुनौती का सामना किया और अपने अधिकारों के लिए लड़े है, लड़ते रहे है और आगे भी लड़ते रहेंगे। 32 % आरक्षण के लिए जेल गए, आंदोलन किए। आज प्रशासनिक लचर व्यवस्था के कारण हाईकोर्ट में सही बात नही जा पाई। पांचवी अनुसूची पेसा एक्ट लागू किया जाए। आज छत्तीसगढ़ में 100 में 32 तथा 10 में हर तीसरा आदमी आदिवासी है।


इस तरह से छत्तीसगढ़ में 32% आदिवासी निवास करते हैं, यह समाज आज भी आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ा हुआ है, 32% आरक्षण नहीं दे दे दिए जाने की स्थिति में समाज की हालत बद से बदतर हो जाएगी, पांचवी अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभा का पूर्णता पालन नहीं होने से आदिवासी समाज संवैधानिक अधिकारों से वंचित हो रहा है, छत्तीसगढ़ में जल्द अध्यादेश लाया जाए, जिसे आदिवासियों का आरक्षण यथावत रखा जा सके।

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