धरसींवा से निर्वाण भूमि तीर्थराज सम्मेंदशिखर जी की तीर्थयात्रा पर निकले समाज के बच्चे
धरसींवा से निर्वाण भूमि तीर्थराज सम्मेंदशिखर जी की तीर्थयात्रा पर निकले समाज के बच्चे
सुरेन्द्र जैन/ धरसीवा
"एक बार वंदे जो कोई ताहि नरक पशु गति नहीं होई" जी हां यह सच उस महान पावन पावित्र तीर्थराज सम्मेद शिखर जी का है जो बीस तीर्थंकर प्रभु की निर्वाण भूमि है तभी तो तीर्थराज की तीर्थ वन्दना करने देश विदेश के लाखों जैनी हर साल तीर्थराज पहुचते हैं।
झारखंड के गिरिडीह जिले के मधुवन में स्थित तीर्थराज की तीर्थवन्दना भी कोई आसान नहीं 27 किलो मीटर पहाड़ चढ़कर ही तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ स्वामी के दर्शन होते हैं देर रात से पर्वत की चढ़ाई शुरू करते हैं तब सुबह तक पर्वत के ऊपर तीर्थंकर प्रभु के दर्शन होते हैं एक दिन छोड़कर ही 6 दिन में 3 वन्दना हो पाती हैं
सांकरा दिगंबर जैन समाज के हरषु जैन मानसी जैन सुहानी जैन जब तीर्थराज की तीर्थयात्रा पर रवाना हुए तो सर्वप्रथम वह श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पहुचे जहां उन्होंने भगवान के दर्शन कर आरती की ओर तीर्थयात्रा अच्छी हो इसके लिए प्रभु से कामना की इसके बाद वह यहां से रवाना हुए।