क्रोध को क्रोध से नहीं प्रेम के दो शब्दों से जीता जा सकता है--- ब्रह्माकुमारी प्रतिभा बहन*
ब्रम्हाकुमारीज़ अलीराजपुर सेवा केंद्र की-मैं कौन और मेरी पहचान सुख शांति आनंद स्वरूप में आत्मा हूं--- ब्रह्मा कुमार नारायण भाई
क्रोध को क्रोध से नहीं प्रेम के दो शब्दों से जीता जा सकता है--- ब्रह्माकुमारी प्रतिभा बहन*
अलीराजपुर,
आमतौर पर मनुष्य अपनी पहचान बताने में अपने शरीर का नाम व पद ही सामने रखते हैं। एक दूसरे को, किसी तीसरे की पहचान बताते हुए उसकी दौलत व एशोआराम की गिनती करते हैं। आपस में हालचाल भी इसी आधार पर मालूम करते हैं कि उनके बच्चे कौन से देश में पढ़ रहे हैं, कौन सी कम्पनी में काम करते हैं, कितना कमा लेते हैं, घर में कितने नौकर चाकर,सुविधाऐं हैं, आदि आदि। जब हम किसी को नहीं जानते तो उसके वस्त्र, जूतों के ब्रान्ड्स, गाड़ी घर की उंचाई को देखते हुए उसकी पहचान बना कर उसे बड़ा व छोटा आदमी निर्धारित कर लेते हैं। *हम ये भूल जाते हैं कि गुणों के साथ अवगुण और मेरा व्यवहारिक पक्ष भी मेरी पहचान का हिस्सा है। केवल धन व लौकिक प्राप्तिओं के आधार पर किसी की पहचान नहीं आंकी जा सकती।
आध्यात्म कहता है कि मैं एक आत्मा हूं, यह शरीर मेरा वस्त्र है, इस शरीर रूपी कार को चलाने वाली मैं आत्मा ड्राइवर हूं। मैं आत्मा शांत स्वरूप, सुख स्वरूप, प्रेम स्वरूप, आनन्द स्वरूप हूं। मेरी सबसे बड़ी पहचान मेरा आनन्द, प्रेम, सुख और शुद्धता है। *जब हम अपनी इस पहचान पर टिक जाते हैं तो आत्मा शरीर का राजा बन, कर्मेंद्रियों पर आर्डर चला कर काम करा सकती है। अपने आनंद स्वरूप का प्रयोग करते करते अंदर का आनंद बढ़ने लगता है फिर बाहर से आनंद मांगने वा ढूंढने की आवश्यकता नहीं रह जाती। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने दीपा की चौकी पर स्थित जीवन में शांति सुख आनंद का अनुभव कैसे करें इस विषय पर नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया कि आज के हलचल के समय को पहचानते हुए, शारीरिक बीमारियों व दुखों को देखते हुए, समय की मांग है कि हम अपनी सही पहचान को समझ कर आगे बढ़ें और आत्मिक गुणों के प्रकंपन विश्व में चारों ओर फै़लाने की अनुपम सेवा करें।
इस अवसर पर गोंदिया से पधारी ब्रह्माकुमारी प्रतिभा बहन ने बताया कि मानव जीवन मे क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता, बल्कि शान्ति से जीता जा सकता है और अग्नि को अग्नि से नहीं बुझाया जाता, बल्कि जल से बुझती है।
ठीक इसी प्रकार से समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगड़ती स्थितियों को भी दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं। हर परिस्थिति को शांति और प्रेम से ही पार कर लेते हैं.।उनका सबसे बड़ा गुण होता है, क्षमा करना.और क्षमा मांगना । जो कमजोर मनुष्य का काम नहीं है।समझदार और शक्तिशाली मनुष्य ही ऐसा कर सकता है,क्योंकि क्षमा मांगने के लिये अभिमान का त्याग और क्षमा करने के लिये विशाल ह्रदय की आवश्यकता होती है..।