ब्रह्माकुमारीज़ खड़मा में मनायी प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 54 वीं पुण्यतिथि - fastnewsharpal.com
फास्ट न्यूज हर पल समाचार पत्र,

ब्रह्माकुमारीज़ खड़मा में मनायी प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 54 वीं पुण्यतिथि

ब्रह्माकुमारीज़ खड़मा में मनायी  प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 54 वीं पुण्यतिथि



 ब्रह्मकुमारीज की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेवा केंद्रों पर स्मृति दिवस , विश्व शांति दिवस के रूप मे मनाया जाता है।

 दैवीय संस्कृति प्रशासन के लिए राजयोग की शिक्षा सभी मनुष्य आत्माओं के लिए आवश्यक है ----- बी. के.अंशु दीदी 

तेजस्वी /छुरा

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय खड़मां सेवा केंद्र पर  18 जनवरी को संस्था के साकार स्थापक पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 54 वी पुण्यतिथी    विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया । ब्रह्माकुमारी संस्था के लिए यह एक विशेष एवं ऐतिहासिक दिवस  ब्रम्हाकुमारी के सभी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेवा केंद्रों पर स्मृति दिवस विश्व शांति दिवस के रूप मे मनाया जाता है।  सभी ब्रह्मावत्स आत्म चिंतन और मौन में रहकर अनुभवों से स्वयं को भरपूर करते हैं।  खड़मा के ओम शांति भवन में  योग तपस्या के साथ कार्यक्रम आरंभ हुआ । जहां ज्ञान मुरली की क्लास मे सभी को परमात्मा महावाक्य सुनाएं गए, ब्रह्मकुमारी अंशु दीदी ने सभी को विशेष ब्रह्मा बाबा की प्रेरणादायक जीवन कहानी  सुनाई । उन्होंने बताई कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थापक दादा लेखराज जिन्होंने सन 1937 में ब्रह्माकुमारी संस्था की नींव रखी , जिसका मकसद सब मनुष्यों को एक ऐसे सूत्र में बांधना जिससे मानवता की डोर मजबूत बनी रहे। जहां शांति सद्भाव और आपसी प्यार हो , उन्होंने बताए कि ब्रह्मा बाबा का नाम दादा लेखराज है उनका जन्म 1876 मे हुआ था। ब्रह्मा बाबा ने परमात्मा शिव के निर्देशानुसार प्रत्येक कदम उठाए समाज उत्थान का कार्य महिलाओं के हाथ में सौंपा, और उन्हें शक्ति स्वरूपा बना दिया ।  तन-मन-धन सब ट्रस्ट के हवाले कर ब्रह्मा बाबा सँस्था की सेवाओं को श्रेष्ठ स्थिति में रहकर करना सिखाया।  अध्यात्म के मार्ग पर लाखों मनुष्य के जीवन में महान बदलाव लाएं । आज भले ही मन को शांत बनाने के लिए मेडिटेशन और ध्यान का महत्व दुनिया समझ रही है परंतु बहुत समय पहले ही राजयोग सहज रीति से सभी को ब्रह्मा बाबा ने सिखाया और निपुण बनाया । 


     ब्रह्मा कुमारी अंशु दीदी ने आगे कहा कि दैवीय संस्कृति के प्रशासन के लिए यह राजयोग शिक्षा सभी मनुष्य आत्माओं को ब्रह्मबाबा ने दी जिसे आज लाखों ब्रह्मा वत्स उनके पद चिन्हों पर चलकर शांतिदूत बन शांति की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं । इस ईश्वरीय मार्ग पर जीवन में कितने विघ्न आए पर ब्रह्मा बाबा सदा अटल रहे क्योंकि उन्हें इस बात का नशा था कि जिसका साथी स्वयं भगवान है उसका काम सदा सफल ही होगा ।  विश्व सेवक बन जनकल्याण करने वाले उस पिता ने अपने समान गुणवान बनाकर अनेकों का उद्धार किया। ब्रह्मा बाबा ने 18 जनवरी 1969 में इस दुनिया को अलविदा कहा और अव्यक्त फरिश्ता रूप धारण किया।  ब्रह्मा बाबा की पुण्यतिथि पर सभी ब्रह्मा वत्सो ने महान विभूति को तहे दिल से वंदन और श्रद्धांजलि अर्पित  किया। कार्यक्रम में छुरा, गायडाबरी,पीपरछेडी, कनेसर, कोरासि, माडेली, खादमा संस्थान के सदस्य गण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads