संकट में निडर और निर्भय होना है हमारी जिम्मेदारी--ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी
संकट में निडर और निर्भय होना है हमारी जिम्मेदारी--ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी
जब हम कहते हैं सब्जी की ताकत, फ्रूट की ताकत क्यों घटती जा रही है। हम कहते हैं, इसमें केमिकल्स बहुत है। यह सच है लेकिन, इसके साथ ही भावनात्मक अशांति भी बहुत है। इसका सारी प्रकृति पर असर पड़ रहा है। अब हमें याद रखना है कि हमारी सोच का क्या प्रभाव पड़ रहा है। परिस्थिति है, संकट है, लेकिन इसको मैनेज करने के लिए और इस संकट को खत्म करने के लिए इस समय सिर्फ एक ही चीज नॉर्मल है कि हमें निडर बनना है। अपनी नॉर्मल की परिभाषा को बदलना पड़ेगा कि इस महामारी से बचने के लिए कहीं हम किसी शारीरिक, मानसिक, संबंधों या वातावरण से जुड़ी किसी अन्य महामारी की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं। इसलिए हमें शांत रहना है, स्थिर रहना है और सबसे महत्वपूर्ण हमें भयरहित रहना है। जब मेरी सब परिस्थितियां अच्छी हैं तब अगर मैं थोड़ा बहुत डर अपने अंदर बिठा लूं तो ठीक है। लेकिन, जब संकट है तो उस समय डर नहीं होना चाहिए। संकट मंे ताकतवर होना ही नॉर्मल है। रोज इसे दोहराएं। इस समय सिर्फ और सिर्फ सही सोचना ही नॉर्मल है। इस समय निर्भय, निडर होना ये मेरी जिम्मेवारी है। मैं स्वयं को इसके लिए तैयार करना शुरू कर दें।
हमारे जीवन का एक समीकरण जो हमें बचपन से पता था आज हमंे उसको अपने मन के अंदर पुन: लाना है। सिर्फ याद रखना है- संकल्प से सिद्धि। अभी हमने जीवन का क्या समीकरण बना लिया है- जो हो रहा है वो हम सोच रहे हैं। जबकि जीवन का समीकरण है कि- जो हम सोचेंगे वो होगा। पर जब हम वो सोचेंगे तो वो चीज और ज्यादा होगी। ये सब हमने देखा है अपने जीवन में। कोई चीज एक बार टूटती है आपके घर, कोई चीज दूसरी बार टूटती है, वो सच है। उसके बाद हम यह सोचना शुरू कर देते हैं कि कहीं ये टूट न जाए। ये गिर न जाए। फिर उसके टूटने और गिरने के चांसेज कई गुना ज्यादा बढ़ जाते हैं। आप शाम को थके हुए घर आते हैं वो सच है। लेकिन, फिर हम यह सोचना शुरू कर देते हैं कि मैं थका हुआ हूं… मैं थका हुआ हूं… जैसे ही हम वो संकल्प करते हैं हमारी थकावट और ज्यादा बढ़ जाती है। क्योंकि हमारे संकल्प से सिद्घि होती है, लेकिन जो सच है वो हमें नहीं सोचना है। क्योंकि जो सोच है वो कल का सच बनाती है। अगर थके हुए हैं और ये सोचें मैं परफेक्ट हूं। मैं फ्रेश हूं। मैं ऊर्जावान हूं तो इससे आपके प्रकंपन बदल जाएंगे। फिर आपके संकल्प बदलेंगे। और आप अच्छा फील करना शुरू कर देंगे।