राजिम के अञ्चल गांव में छेरछेरा पर्व धूमधाम से मनाया गया, बच्चों से लेकर बड़ों में रहा खुशी का माहौल,,
राजिम के अञ्चल गांव में छेरछेरा पर्व धूमधाम से मनाया गया, बच्चों से लेकर बड़ों में रहा खुशी का माहौल,,
राजिम
राजिम अञ्चल के गाँव दूतकैन्या(खपरी) अरंड, परसदा जोशी,बासिन, रांवड,बकली हथखोज,रकशा, पोखरा एवम पितईबंद सहित सभी गाँवो में अन्न दान के परब छेरछेरा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया,
छेरछेरा के महत्व को बताते हुए अञ्चल के शिक्षक एवम साहित्यकार श्रवण कुमार साहू" प्रखर," ने कहा कि,छेरछेरा पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की पहचान है,आज के दिन लोग सुबह से उठकर पवित्र नदियों व जलाशयों मे स्नान करके देव दर्शन करते हैं तत्पश्चात अपनी अपनी सामर्थ अनुसार दान पुण्य करते है,आज के दिन अन्न का दान लेना और देना दोनों ही पुण्य का काम माना जाता है, वेद पुराणो मे आज के दिन का विशेष महत्व है,यहाँ यह बताना जरूरी है कि छेरछेरा के दिन पूरे अञ्चल में सभी गाँव में लोग सुबह से ही, टुकनि, चरिहा, झोला, बोरी,लेकर एक से दूसर घर तक जा जाकर, "छेरिक छेरा छेर मरकनिन छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेर हेरा, और अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन के नारा लगा लगा के अन्न माँगते हुए छोटे बड़े, बच्चे बूढ़े सभी का उमंग देखते बनता है|इस अवसर पर घरों घर में छत्तिसागढ़ि व्यन्जन भी बनाये गए,माँ शाकंभरी की जयंती,एवम मेला मडाई भी अनेक गाँवों में धूमधाम के साथ शांतिपूर्ण ढंग से मनाया गया|