राजिम आध्यात्मिक संग्रहालय मे ब्रह्माकुमारीज़ के प्रदर्शनी देखने लोगो का लगा ताता,
राजिम आध्यात्मिक संग्रहालय मे ब्रह्माकुमारीज़ के प्रदर्शनी देखने लोगो का लगा ताता,
राजिम
यू तो लोग भौतिक सुख सुविधा की होड़ मे सुख शांति और आनंद की खोज मे लगे रह लोग पूरा जीवन लगा देते है पर भौतिक साधनों मे न ही सुख की प्राप्ति होता है न ही शांति व आनंद की प्राप्ति होता है।
राजिम के आध्यात्मिक संग्रहालय मे ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा दिये जाने वाले ज्ञान और सहज राजयोग की सहज विधि प्रदर्शनी के माध्यम से संस्था से जुड़े ब्रकु नन्दलाल सायरानी,ब्रकु विवेक शर्मा, ब्रकु सेवा भाई द्वारा उक्त प्रदर्शनी के माध्यम से बताया की जीवन मे जीने का लक्ष्य हो तभी जीने मे आनंद हो, आगे बताया की हम असूल मे यह दिखने वाली शरीर नहीं पर अजर, अमर अविनाशी आत्मा है इसे जान और जानने व अनुभूति करे की मै अजर, अमर, अविनाशी आत्मा हू तो भय निकल जायेगा और सतकर्म मे लग जायेगा साथ ही सभी परमात्मा की संतान मानने से आत्मिक भाव, व भाई चारा के साथ वसुदेवकुटुंबकम भाव से कर्म करे और आगे बताया की भारत देवो की भूमि है जो देवता कर्मो से बनता है देवता कोई बाहर से नहीं आता,हम अपने आत्मिक स्वरूप मे रहकर परमात्मा की याद मे रहकर कर्म करेंगे तो हमारे कर्मो मे बदलाव होगा जो सभी को सुख देगा और देवी तुल्य कर्म होंगे। नर ऐसी कर्म करे जो नारायण बन जाये और नारी ऐसी कर्म करे जो लक्ष्मी बन जाये। इन्ही कर्मो के आधार से हम देवी घराने मे जाने लायक बन जायेंगे, अधिक जानकारी के लिए संग्रहालय मे सात दिवसीय निःशुल्क सहज राजयोग की शिक्षा से अपने जीवन मे सुख, शांति और आनंद की प्राप्ति का अनुभव राजयोग के अभ्यास से कर सकेंगे।