ब्रह्माकुमारीज़ राजिम  में जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण जी की चेतन झांकी सजाई गई  - fastnewsharpal.com
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 ब्रह्माकुमारीज़ राजिम  में जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण जी की चेतन झांकी सजाई गई 

 ब्रह्माकुमारीज़ राजिम  में  जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण जी की चेतन झांकी सजाई गई 




राजिम-

 प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय राजिम के तत्वाधान में श्रीकृष्ण जी की चेतन या झांकी सजाई गई जिसमें ब्रह्माकुमारी हेमा बहन ने आए हुए सभी भक्तगणों को जन्माष्टमी का आध्यात्मिक अर्थ बताया जन्माष्टमी आते ही सभी के मन में एक अलग ही उमंग  आ जाता है जन्माष्टमी में जगह-जगह श्री कृष्ण जी की चैतन्य झांकियां सजाई जाती है दही का मटका फोड़ा जाता है बहने माताएं लड्डू गोपाल के रूप में उसको झूला झूलती है हर कोई देखने के लिए अपने परिवार सहित जाते हैं श्री कृष्ण जी के जन्माष्टमी में आखिर ऐसी कौन सी खास बात है जो इतना हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं और किसी देवी देवताओं की जयंती नहीं मनाई इतना तक की श्री कृष्ण जी के साथ राधे भी है लेकिन हम श्री कृष्ण जी के जन्मदिन को धूमधाम से मनाते हैं कई माताएं सोचती है की श्री कृष्णा जैसा बच्चा मिले बहाने सोचती है श्री कृष्ण जैसा भाई मिले और कई सोचते हैं कि श्री कृष्ण जैसा हमें शखा मिले तो सोचो श्री कृष्णा जब साक्षात इस भारत में थे तो उससमय का नजारा कैसा होगा काश हम भी उस समय में होते एक तरफ दिखाते हैं कृष्ण का जन्म कारावास में हुआ घोर रात्रि थी खूब तूफानी रात थी और ऐसे समय में जन्म हुआ और दूसरी और यह भी दिखाते हैं की चारों और पानी ही पानी था और एक पीपल के पत्ते पर अंगूठा चुस्त हुआ इस संसार में आया अब दोनों बात देखा जाए एक तो नहीं क्या सच में उनका जन्म  जेल में हुआ सर्वगुण संपन्न संपूर्ण निर्विकार मर्यादा पुरुषोत्तम या महिमा कहा जाता है श्री कृष्ण जी के उस समय का समाज कितना श्रेष्ठ होगा ऐसे श्रेष्ठ समाज में क्या  जेल होता है यह भी किसी बात का प्रतीक है किसी बात की ओर संकेत करते इसलिए श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जरूर बनाएं लेकिन समझ के साथ बनाएं कारावास अर्थात बंधन कलयुग के अंदर देखा जाए तो हर एक व्यक्ति के अंदर कितना बंधन है और उसे बंधन  में बंधे हुए कारावास अर्थात अंधकार के रात्रि जहां अज्ञानता की तूफान आज दुनिया में चारों अज्ञान अंधकार है विकार चरम सीमा पर है अनेक बुराइयां परमात्मा जब आत्माओं को मुक्त करने आते हैं तब ऐसी स्थिति रहती है तब आत्माओं को उन बंदों से मुक्त कर श्री कृष्ण की दुनिया में ले जाते हैं कलयुग के बाद आने वाली श्रेष्ठ दुनिया सतयुग होगी जहां श्री कृष्ण जैसी पावन आत्मा जन्म लेगी इसलिए दूसरी और जो दिखाया चारों ओर पानी ही पानी है और बीच में पीपल के पत्ते पर श्री कृष्ण जी अंगूठा चुस्त हुआ आया अर्थात यह कलयुगी अज्ञानता की दुनिया जब समाप्त होगी और पवन सतयुग की दुनिया जब संसार में आती है तो उससमय भारत ही होगा चारों ओर दुनिया जलमई हो जाती है लेकिन भारत खंड अविनाशी माना जाता है और अनेक देश भारत खंड के साथ जुड़ जाता है इसलिए भारत को भारत नहीं महाभारत कहा जाता है और वह महाभारत की आकृति पीपल के पत्ते की तरह होगी जहां श्री कृष्ण जन्म लेंगे और सतयुग के अंदर उनके आठ जन्म ऑन के और आठवें जन्म सर्वश्रेष्ठ जन्मों का जिसके कारण से जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है और सभी को जन्माष्टमी की बधाई दी गई और सभी भाई-बहनों एवं भक्तों ने मिलकर के श्री कृष्ण जी के झांकी एवं कृष्ण जी के प्रतिमा का आरती किया गया और सबको भोग प्रसाद वितरण किया क्या इस तरह तुम धाम से पितई बंद रोड आमापारा में स्थित ब्रह्माकुमारीज राजिम में धूमधाम से जन्माष्टमी का कार्यक्रम मनाया गया

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