*अब भगत कहाँ पैदा होते हैं * - fastnewsharpal.com
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*अब भगत कहाँ पैदा होते हैं *

*अब भगत कहाँ पैदा होते हैं *



आज सत्ता के गलियारों में

इन भूखे- भेड़ियों के बीच 

बस स्वार्थ के बीज बोते हैं

और बात -बात पर रोते हैं


बस व्यर्थ समय को खोते है

अब भगत कहाँ पैदा होते हैं।


निज स्वार्थ से हैं घिरे हुए 

नशे में पूरी तरह डूबे हुए

बेटियो संग अनाचार करते

पाप करने से तनिक न डरते 


जीवन को प्रतिपल ढोते हैं

अब भगत कहाँ पैदा होते हैं।


बस दूसरों का हक मारते हैं

बिना बात शेखियाँ झाड़ते हैं

जिन्हें राष्ट्र से कोई प्रेम नहीं

जिन्हें अपनो का बोध नहीं


अन्याय का बीज ही बोते हैं

अब भगत कहाँ पैदा होते हैं।



जो टुकड़ों में देश को बाँटते है 

बस हिंदू- मुस्लिम में छाँटते हैं

जो जात -धर्म पर लड़ते हैं

नित भ्रष्टाचार ही करते हैं


खंड- खंड  देश को खोते है

अब भगत कहाँ पैदा होते हैं।


जिनके लिए पैसा ही भगवान है

इंसान के वेश में छुपे शैतान हैं

जिनमें नहीं आत्माभिमान है 

बस चाटुकारिता ही पहचान है


जब मुखड़े पर मुखौटा होते हैं 

अब भगत कहाँ पैदा होते हैं।


जो अन्याय पर भी कुछ न बोलते 

जो गलत बात पर मुंह न खोलते 

नैतिकता का जहाँ मोल नहीं

सत्य-असत्य का तोल नहीं


मुर्दों सा बस जीवन जीते हैं

अब भगत कहाँ पैदा होते हैं।


संस्कृति का है मान गिराते

सिगरेट के हैं छल्ले उड़ाते 

गिलासों में जाम छलकाते

मांस को निज आहार बनाते


शराब- शबाब में मदहोश होते हैं

अब भगत कहाँ पैदा होते हैं।



क्या कर रहे हैं होश नहीं 

जिनमें है कोई जोश नहीं

खोखले आदर्शों के पिटारे

जिस्म के भूखे और हत्यारे


भारत माँ की अश्रु पिरोते हैं

अब भगत कहाँ पैदा होते है।

 

धन्य -धन्य वह भारत का लाल

जिसने जीवन अर्पण किया

हँसते- हँसते फाँसी चढ़ गए

निज सुखों का न वरण किया


सदियाँ पुकारती है तब ही

सुत क्रान्तिवीर पैदा होते हैं


अब भगत कहां पैदा होते है।



सागर कुमार शर्मा

व्याख्याता एवं एनसीसी आधिकारी

राजिम।

मो- ९९९३०४८७८६

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