बेटा यदि कुल का दीपक तो बेटी कुल का दिया है दोनों ही कुल का नाम रोशन करते हैं , ,, संत राम बालक दास जी ,,
बेटा यदि कुल का दीपक तो बेटी कुल का दिया है दोनों ही कुल का नाम रोशन करते हैं , ,, संत राम बालक दास जी ,,
प्रतिदिन की भांति पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा उनके विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे 1 घंटे का ऑनलाइन सत्संग वर्षों से आयोजित होता है आज भी सत्संग का आयोजन किया गया, जिसमें बाबाजी की मधुर भजनों के साथ भक्तों के भी मधुर भजनों की प्रस्तुति हुई
और 1 घंटे के इस ऑनलाइन सत्संग में विभिन्न विषयों से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान बाबा जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया
आज के ऑनलाइन सत्संग में डूबोवती यादव जी ने विचार प्रस्तुत किया कि दीया कहुँ तो लड़कीं सा लगता है
दीपक कहुँ तो लड़का,सा लगता है,बात बस इतनी सी है कि दीया हो या दीपक,उजाला दोनों से होता है, भाव को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया की हमें कभी भी बेटे और बेटी में भेद नहीं करना चाहिए, जिस तरह दिया हो या दीपक दोनों ही प्रकाश फैलाते हैं वैसे ही लड़का हो या लड़की दोनों ही कुल के दीपक है
"क्या इच्छा से परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है "
मयंक जी की इस जिज्ञासा को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि निश्चित ही परमात्मा की प्राप्ति दृढ़ इच्छा संकल्प एवं भक्ति के द्वारा की जा सकती है और सांसारिक जगत में परमात्मा के अतिरिक्त कोई भी अन्य वस्तु को हम इच्छा से प्राप्त नहीं कर सकते, जगत में रहने वाले अधिकांश जो प्राणी चाहते हैं कि हमें सुख की प्राप्ति हो उन्हें दुख प्राप्त होता है तो भौतिक जगत में रहते हुए जड़ प्राप्ति संभव है, इच्छित जड़ प्राप्ति हेतु पूर्व कृत कर्मों का फल चाहिए जो कि हमारे हाथों में नहीं होता,परंतु भगवान के लिए इच्छा करने पर और उनकी भक्ति करके उन पर समर्पित रहने पर वह हमें अवश्य प्राप्त हो सकते हैं
सत्संग के मध्य में बाबा जी ने श्री कृष्ण जी की बाल लीलाओं का अद्भुत वर्णन किया और उनकी नटखट भाव का बहुत ही सुंदर चित्रण किया जिसमें उन्होंने विभिन्न सूरदास जी के पदों को विस्तारित करके अपनी मधुर वाणी में गाकर बताया कि श्री कृष्ण भगवान जी परमात्मा है उनकी बाल लीलाएं भी अद्भुत है सूरदास जी बता रहे हैं कि उनके हाथों में सफेद मक्खन उनके चेहरे के घुंघराले बाल और छोटे-छोटे नन्हे पांव से घुटनों पर चलता हुआ शरीर लाल मिट्टी में धूल से रमा हुआ बहुत ही सुंदर प्रतीत हो रहा है
इसी अंक पर जिज्ञासा रखते हुए ठाकुर राम जी ने बाबा जी से,
गोविन्द सो पति पाइ कहा मन अनत लगावै।
गोपाल भजन बिन सुख नहीं जो चहूँ दिशि धावै॥
फल की आशा चित्त धारि जो वृक्ष बढ़ावै ।
महामूढ़ जो मूल तजि शाखा जल नावै ॥
सहज भजै नन्दलाल को सो सब शुचि पावै
सूरदास 'हरिनाम' लिये दुख निकट न आवै, पंक्तियों के भाव को स्पष्ट करने की विनती की भाव स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि,भगवान को पाने के लिए इधर-उधर भटकते हैं यह तो उसी तरह है जिस तरह से लोगों को फल तो चाहिए लेकिन वह जड़ में पानी डालने के बजाय पत्तों पर पानी डालते हैं, भगवान किसी पाखंड या आडंबर के भूखे नहीं वह तो सहज भाव के भूखे है सहज ही भगवान को भजिए श्री कृष्ण स्वयं आपके हृदय में वास करेंगे
इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम