*आज भी मिलता है श्याम बाजार आरंग में 2 रुपए में समोसा*
*18 साल से समोसा बेच रहे है खेलावन यादव*
*आज भी मिलता है श्याम बाजार आरंग में 2 रुपए में समोसा*
आरंग
एक ओर बढ़ती महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ रखी है।वहीं आरंग के श्याम बाजार निवासी 55 वर्षीय खेलावन यादव और उनके 48 वर्षीय धर्मपत्नि चित्ररेखा यादव 18 साल से 1रुपए में समोंसा बेच कर अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं। बहुत ही शांत, सरल और शालीन व्यक्तित्व के धनी खेलावन बताते हैं वह 18 वर्षों से समोसा बेच रहे हैं।15 वर्षों तक केवल 1 रूपए में ही समोसा बेचा करते थे। साथ में दही और टमाटर, मिर्ची प्याज की चटनी भी देते हैं। लोग उन्हें 1रुपए के समोसे वाले के नाम से जानते है।
हर रोज पति पत्नी मिलकर समोसा, बड़ा, मिर्ची भजिया साथ ही दही और टमाटर चटनी मिर्ची प्याज भी 2 रुपए प्रति नग बेचते हैं।वह बताते हैं जब से कोरोना वायरस ने कहर बरपाया है तब उनकी आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी है।लगातार लाक डाऊन से जीवन निर्वाह करना दूभर हो गया था। क्योंकि उनके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है।इसी धंधे से उनके परिवार का गुजारा चलता है।कोविड के बाद सभी वस्तुओं का दाम बढ़ने के कारण 1 रुपए बिकने वाले समोसा को 2 रूपए करना पड़ा। लोग उनके समोसे को महासमुंद, राजधानी रायपुर आर्डर कर ले जाते हैं। वहीं कुछ लोग खाकर कर पैसे देने में आनाकानी करते हैं।कई दिन तो धंधा बिल्कुल भी नहीं चलता।सामान नहीं बिकने पर परिवार के लोगों को या जानवरों को खिलाना पड़ता है।समाजसेवी महेन्द्र पटेल बताते हैं खेलावन यादव बहुत ही मेहनती और स्वाभिमानी है।
उनकी मेहनत और स्वाभिमान से प्रभावित होकर कोविड काल में उन्होंने कुछ मदद करने का प्रस्ताव रखा, तो बड़े मुश्किल से उनके सहयोग को स्वीकार किया। मुश्किल से मुश्किल घड़ी में भी कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाते।खेलावन यादव बताते हैं
महज 2 रुपए में समोसा बेच कर दिनभर में उनका परिवार मुश्किल से तीन से चार सौ रुपए ही कमाते हैं।उसी से उनके परिवार का गुजर बसर होता है। उन्हें किसी से कोई उम्मीद की दरकार नहीं हैं।वह अपनी मेहनत की कमाई से संतुष्टी अनुभव करते हैं।