*चार भाषाओं में प्रकाशित होगी राजमाता राजिम की जीवनी, साहित्यिक संगोष्ठी में हुआ गहन मंथन* - fastnewsharpal.com
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*चार भाषाओं में प्रकाशित होगी राजमाता राजिम की जीवनी, साहित्यिक संगोष्ठी में हुआ गहन मंथन*

 *चार भाषाओं में प्रकाशित होगी राजमाता राजिम की जीवनी, साहित्यिक संगोष्ठी में हुआ गहन मंथन* 



 *शोध प्रबंध पर आधारित जीवनी की प्रस्तुति को सभी ने सराहा।* 


 *राजिम*

 साहू छात्रावास राजिमधाम में राजिम भक्तिन माता समिति के संयोजन में साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में राजिम के अलावा रायपुर, महासमुन्द, गरियाबंद, कोरबा से विद्वतजन पहुंचे थे। राजमाता राजिम की जीवनी और महात्म्य पर करीब चार घंटे तक मैराथन मंथन हुआ। राजिम माता की जीवनी, जन्म कुंडली, जन्म से समाधि तक जीवन लीला पर विद्वानों ने प्रकाश डाला। साहू समाज के वरिष्ठ चिंतक डॉ. सुखदेव साहू 'सरस' सभापति थे। मुख्य वक्ता प्रो. घनाराम साहू थे। अतिथि वक्ताओं में पंडित घनश्याम साहू, आनंदराम पत्रकारश्री, डॉ. महेंद्र साहू, लोकनाथ साहू 'ललकार', समिति के अध्यक्ष लाला राम साहू आदि प्रमुख थे। 


 *नई पीढ़ी को गौरवशाली इतिहास से परिचित कराने पर जोर* 

साहित्यिक संगोष्ठी की शुरुआत राजमाता राजिम की पूजा अर्चना और वंदना से हुई। साहू संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू ने प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस तरह से दूर-दूर से विद्वानों का आगमन हुआ है। यह संगोष्ठी निश्चय ही मिल का पत्थर साबित होगा। राजमाता राजिम की जीवनी को पाठ्य पुस्तक में शामिल करने और नई पीढ़ी को गौरवशाली इतिहास से परिचित कराने पर जोर दिया गया।


 *राजिम भक्तिन माता महात्म्य को पाठ्यपुस्तक में शामिल किए जाने की जरूरत* 

मुख्य वक्ता घनाराम साहू ने राजिम माता की जीवनी को शरारती तत्वों द्वारा तोड़ मरोड़ कर लिखे जाने पर विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने  राजिम भक्तिन माता महात्म्य को पाठ्यपुस्तक में शामिल किए जाने के लिए आवश्यक तथ्यों की जानकारी दी। वर्ष 1825 से अब तक करीब 200 साल के इतिहास के अध्ययन पर आधारित विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया। उन्होंने श्री संगम राजिम की महत्ता पर प्रकाशित विभिन्न ग्रंथों के सार से उपस्थितजनों को अवगत कराया।


सभापति की आसंदी से  डॉ सुखदेव राम साहू 'सरस' ने कहा कि उपलब्ध लिखित तथ्यों की कमी नहीं है। करीब दो सौ साल का राजिम का लिखित तथ्य उपलब्ध है। इन तथ्यों का ईमानदारी से दस्तावेजीकरण हो। गहन चिंतन करने की आवश्यकता है।  पंडित घनश्याम प्रसाद साहू ने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि राज माता राजिम की जीवनी को चार भाषा हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, छत्तीसगढ़ी में प्रकाशित करने की आवश्यकता है। उन्होंने राजिम महायज्ञ कराने का प्रस्ताव रखते हुए तेलीश्वर महादेव की व्याख्या की। 


 *राजमाता राजिम महात्म्य को जन- जन तक पहुंचाने की मुहिम* 

आनंदराम पत्रकारश्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत राजिम पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। राजमाता राजिम महात्म्य को जन- जन तक पहुंचाने की मुहिम शुरू हो गई है। यह रुकना नहीं चाहिए। हमें अपने अतीत को जानकर गौरवशाली इतिहास पर गर्व महसूस करने की आवश्यकता है। उन्होंने राजिम महात्म्य से संबंधित साहित्य प्रकाशन की भी जानकारी दी। संगोष्ठी को उपस्थित सभी विद्वानों ने संबोधित किया।

 *इन कवियों की रही खास उपस्थिति* 

कवि सर्वश्री श्रवण कुमार साहू प्रखर, लोकनाथ साहू ललकार, मोहन लाल मानिकपन मानुक, मकासूदन साहू बरीवाला, रोहित कुमार साहू, पवन कुमार गुरुपंच, भोलेराम साहू, डा रमेश कुमार सोनसायटी आदि प्रमुख प्रतिभागी रहे।

कार्यक्रम प्रदेश साहू संघ के प्रतिनिधि उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू, न्याय समिति के सदस्य बाला राम साहू, राजिम भक्तिन माता समिति के प्रतिनिधि अध्यक्ष लाला राम साहू, संरक्षक डा महेंद्र साहू, महामंत्री मिंजुन साहू, श्याम साहू, श्रीमती देवकी साहू, एडवोकेट गोपाल कृष्ण साहू, बोधन राम साहू, हरीश सोनबेर, छवि भाई साहू की उपस्थिति उल्लेखनीय है । कार्यक्रम का संचालन कवि नूतन लाल साहू ने किया। आभार ज्ञापन समिति अध्यक्ष लालाराम साहू ने किया।

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