धान काटते खेतों में महिलाएं गाती है ददरिया,ग्रामीण इलाको में झुमर बनाने की है पंरपरा - fastnewsharpal.com
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धान काटते खेतों में महिलाएं गाती है ददरिया,ग्रामीण इलाको में झुमर बनाने की है पंरपरा

 धान काटते खेतों में महिलाएं गाती है ददरिया,ग्रामीण इलाको में झुमर बनाने की है पंरपरा



जयलाल प्रजापति /सिहावा धमतरी 

छत्तीसगढ़ अपनी विविध संस्कृति और पंरपराओं के लिए जाने जाते है यहां के वनाचंल इलाकों सहित ग्रामीण इलाको में आज भी लोग अपनी जिम्मेदारियों को बोझ न समझकर हंसते गाते निपटाने की पंरपरा को निभाते चले आ रहे है.इन्ही पंरपराओं में से एक पंरपरा ये भी है कि खेतो में काम करते वक्त ग्रामीण करमा ददरिया सहित सुआ गीत गुनगुनाते है.इसके पीछे मनोरंजन होता ही है साथ ही आसानी से दिन कट जाता है और काम का काम हो जाता है.


दरअसल छत्तीसगढ़ लोक गीतों का कुबेर है और ये मेहनतकश इंसानों की धरती है,किसान और बसुंधरा की धरती है यहां न जंगल जमीन की कमी है न डोली डांगर की,हरे-भरे खेत-खार, जंगल-पहाड़, धन-धान्य से भरे कोठार जैसे इस धरती के श्रृंगार है वही इस रत्नगर्भा धरती की कला और संस्कृति भी ठीक इन्द्र-धनुष की तरह बहुरंगी है यहां लोक गीतों का अक्षय भण्डार है.कहा जाता है कि ददरिया श्रम की साधना और प्रकृति की आराधना में रत किसानों और श्रमिकों का गीत है जो प्रेम और अनुराग की लोक अभि-व्यक्ति मानी जाती है.


धमतरी जिला किसान बाहूल्य इलाका है यहां ज्यादातर लोग कृषि कार्य करते है और जिले में बडे़ पैमाने पर धान के फसल का उत्पादन भी किया जाता है.इन दिनों यहां धान कटाई,मिंजाई का काम तेजी से चल रहा है और किसानी कार्य के साथ यहां छत्तीसगढ़ी लोककला और संस्कृति की छटा भी दिखाई दे रही है जिले के वनांचल इलाके मे आज भी किसान एक दूसरे के धान कटाई के लिए सहयोग किया करते है इससे नकद का लेनदेन नही होता और इससे किसानो के पैसे भी बचते है.इसके अलावा यहां खेतों में लोग आज भी ददरिया सहित अन्य लोकगीतों का गान करते है.किसान और मजदूर बताते है कि काम को मनोरंजक बनाने के लिए काम करते समय इस गीत को गाते है जिससे काम का थकान भी मिट जाता है.शायद यही वजह है कि आज भी यह पंरपरा ग्रामीण क्षेत्रो में बदस्तूर जारी है आज भी खेतों में काम करते ग्रामीणों से यह गीत सुना जा सकता है.


धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में झुमर बनाने की पंरपरा है धान के बालियों को गूंथकर घर के मुख्य द्वार पर सजाने का चलन है.कहा जाता है कि लक्ष्मी के आगमन के लिए यह झुमर स्वागत स्वरूप होता है.यह झुमर नई फसल से मिले धान की बालियों को गूंथकर पंछियों के लिए दाना चुगने के लिए बनाया जाता है और बालियों से बने झुमर को घर के मुख्य द्वार पर लटकाया जाता है.ऐसा माना जाता है कि खेत में उगने वाले अनाज पर सबका अधिकार है लिहाजा जिले में झुमर बनाने की पंरपरा आज भी कायम है.

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