आचार्य संत श्री विद्या सागर जी का जाना सालासर समिति ने कहा जनमानस के लिए अपूरणीय हैं-राजू काबरा
आचार्य संत श्री विद्या सागर जी का जाना सालासर समिति ने कहा जनमानस के लिए अपूरणीय हैं-राजू काबरा
नवापारा नगर
नगर की एवम अंचल की प्रसिद्ध धार्मिक,सामाजिक एवम जनकल्याणकारी संस्था के संस्थापक राजू काबरा,अध्यछ धरम साहू ने राष्ट्र संत सब धर्मों के पूजनीय महान संत,योगी,के महाप्रयाण पर गहरा दुख प्रगट करते हुवे कहा कि त्याग और वैराग्य की मूर्ति आचार्य विद्या सागर जी महाराज का इस नश्वर शरीर को छोड़कर जाना किसी धर्म विशेष की नही बल्कि पूरे राष्ट्र की छती है।
उन्होंने अपना सर्वश्व जीवन जनकल्याण में लगा दिया।
तपस्वी की भांति कठोर तप करना, योगी की भांति आजीवन जीवनोपयोगी वस्तुओं का त्याग,24 घण्टे में एक बार आहार एवम जल केवल एक अंजुली में ग्रहण करना एवम गौ माता ,निर्धन कन्या,शिछा आदि पर उनका विचार जनमानस पर बहुत अधिक रहा।आपके चरण जहाँ पड़ जाते थे वह स्थान पूजनीय हो जाता था।
जिस गांव शहर की ओर विहार हो जाता था हजारों की संख्या में हर धर्म समाज के लोग आपके दर्शन की एक झलक पाकर अपने को धन्य मानते थे,आप वास्तव में नाम के अनुरूप सागर जैसे महान थे।आपका जाना किसी एक समाज के लिए नही बल्कि एक एक जनमानस की अपूरणीय छती है।जिसकी भरपाई सम्भव नही।समिति के सभी सदशयों ने नमन करते हुवे अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की है।
आज संत विद्यासागर जी जैसे तपस्वी ,त्याग ,धर्म के प्रति अटूट विश्वास के कारण ही धर्म जिंदा है।आप जैसे संत के विचारों को करोड़ो लोगों ने अपनाया है।
छतीसगढ़ की पावन भूमि से आपका बहुत ज्यादा लगाव था इसलिए आप बहुत अधिक समय छत्तीसगढ़ की धरा पर विहार करते थे।