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एक जीव के जीवन को समाप्त कर अपनी भूख मिटाने का भाव ठीक नहीं- समय सागर जी

 एक जीव के जीवन को समाप्त कर अपनी भूख मिटाने का भाव ठीक नहीं- समय सागर जी



 सुरेन्द्र जैन /धरसींवा 

  छत्तीसगढ़ के सिद्ध क्षेत्र चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ से मध्यप्रदेश के सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर की ओर पद विहार कर रहे महातपस्वी दिगंबर जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी के प्रथम शिष्य निर्यापक मुनिश्री समय सागर जी महामुनिराज ने अनमोल वचनों में  कहा कि किसी जीव का घात कर मांसाहार से अपनी भूख मिटाने का भाव ठीक नहीं है।

    पूज्य निर्यापक मुनिश्री ने कहा जिस प्रकार पेड़ के ऊपर मीठे मीठे फल लगते है और आप लोग सेवन करते है क्या उस प्रकार से मांस मिल  सकता है? जब तक जीव का घात नहीं होगा तब तक मांस की उपलव्धि सम्भव नहीं है,एक जीव के जीवन को समाप्त करके अपने जीवन को सुरक्षित करने का जो भाव है यह ठीक विपरीत भाव माना जाता है। उपरोक्त उदगार संत शिरोमणि आचार्य गुरूदेव विद्यासागरजी महाराज के परम साधक शिष्य प्रथम निर्यापक एवं आगामी आचार्य समयसागर जी महा मुनिराज ने  गोंदिया जिले की सीमा आमगांव महाराष्ट्र में व्यक्त किये।                   भावी आचार्य श्री ने कहा कि प्रत्येक जीव को अपने अपने प्राण प्रिय हुआ करते है अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिये किसी जीव का घात करना उचित नहीं माना जा सकता।उन्होंने कहा कि महापुरुषों का यह कहना है कि हमें प्रत्येक जीव के प्रति करुणा का भाव रखना चाहिये मुनि श्री पशुओं के प्रति करुणा भाव से कहा कि आप लोगों का जीवन तो फुल फैसेलिटीज के साथ चल रहा है ए. सी. में रह रहे हो किंतू पशुओं का जीवन पराश्रित है आप लोगों को यदि कोई कष्ट आता है तो आप लोग एक दूसरे से कहकर उस कष्ट का निवारण कर लेते हो लेकिन उन मूक पशुओं की ओर भी देखो वह तो अपने कष्ट को अपने दुःख को व्यक्त भी नहीं कर सकते,उनको तो समय पर भोजन पानी भी नहीं मिल पाता फिर भी वह किसी से नहीं पाते आचार्य श्री ने उपस्थित जन समुदाय के माध्यम से सभी को सम्वोधित करते हुये कहा कि जैसे आप लोग अपनी सुविधाओं का ध्यान रखते है,उसी प्रकार उन मूक पशुओं का भी ध्यान रखना चाहिये वह पशु भी आपके घर परिवार के ही सदस्य है जैसे आप अपने परिवार के सदस्यों का ख्याल रखते है उसी प्रकार आपके घर में पलने बाली गाय का भी आपको प्रवंध करना चाहिये उन्होंने कहा कि वह मूक पशु आपसे क्या चाहता है, मात्र रुखा सूखा भोजन अथबा हरी हरी घास और छना हुआ पानी जब आप करुणा भाव से उसको देते है,तो वह भी आपको मीठा मीठा दूध प्रदान करती है, जो कि आपके और आपके परिवार के लिये अमृत समान है। मुनि श्री ने कहा कि आप लोग मानव है आप लोगों के अंदर करुणा भाव होंना चाहिये। गुरूदेव हमेशा कहते थे कि आप लोग उनको जीवन प्रदान नहीं करते बल्कि जो पशु आपके आश्रित होकर पल रहे है वह आपके परिवार का भरण पोषण करते है। सभा में उपस्थित स्कूली छात्र छात्राओं को सम्वोधित करते हुये कहा कि जो बच्चे शाकाहार का आलंबन लेते है उनके आरोग्य की रक्षा तो होती ही है, साथ ही साथ धर्म भी पलता है एवं एक दूसरे के साथ परोपकार की भावना जाग्रत होती है। दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया आचार्य श्री संघ के साथ मध्यप्रदेश महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के लोग भारी संख्या मैं चौका लेकर चल रहे है आज गुरुदेव को आहार कराने का सौभाग्य अशोक नगर के विजय धुर्रा  परिवार के साथ मंगल विहार करा रहे भारतीय विद्यावाणी समूह प्रमुख दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन को भी मिला इस अवसर पर मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।संचालन विजय जैन धुर्रा अशोक नगर ने किया उक्त जानकारी विहार में साथ चल रहे दयोदय महासंघ के प्रवक्ता अविनाश जैन विदिशा ने दी।

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