श्री राम लला के मूर्तिकार से मिलना मेरे जीवन का सौभाग्य ---पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री
श्री राम लला के मूर्तिकार से मिलना मेरे जीवन का सौभाग्य ---पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री
नवापारा (राजिम)
अरुण योगिराज जी देश के उन हजारों लोगों में से एक हैं, जिनकी बनाई मूर्ति आज अयोध्या जी के नव निर्मित मन्दिर में श्री राम लला के रूप में प्राण प्राण प्रतिष्ठित हुई है, रविवार को रायपुर में दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में उनके स्वागत समारोह में मंच पर उनका सम्मान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, उनके गले लगकर मिलना, उनको छूना मेरे लिए एक स्मरणीय क्षण था, मैंने उनके हाथों को अपने गालों से स्पर्श कराया, जिन हाथों ने 7 महीने की कड़ी मेहनत करके राम लला की मूर्ति को गढ़ा है,
मेरे लिए यह एक भावुक क्षण था और वे भी सहज सरल होकर मेरी इन चेष्टाओं पर मुस्कुराते रहे, विदित हो कि उनका परिवार पिछली 5 पीढ़ियों से मूर्तिकारी से ही जुड़ा हुआ है, अरूण योगिराज जी ने 11 वर्ष की उम्र से ही मूर्ति बनाने का काम शुरू कर दिया था, श्री राम लला की मूर्ति बनाकर वे सारी दुनिया में छा गए हैं उनका कहना है कि प्रतिदिन प्रातः सरयू नदी में स्नान कर , पूरे व्रत नियमों का पालन करते हुए उन्होंने यह किया है और जब इस मूर्ति की वेद विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा हो गई तो वे स्वयं उस मूर्ति को पहचान नहीं पाए कि यह वही मूर्ति है, विदित हो कि समस्त राम भक्त , लोक में राम संस्था द्वारा उनका रायपुर में सार्वजनिक रूप से अभिनंदन किया गया था, जिसमे भारत माता की आरती करने वाले इंदौर के सत्यनारायण मौर्य, सुनील विश्वकर्मा जी, छत्तीसगढ के मुख्य मंत्री एवम प्रबुद्ध जन उपस्थित हुए थे