सेवा के लिए सदैव समर्पित डॉ. कृपा शंकर राय - fastnewsharpal.com
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सेवा के लिए सदैव समर्पित डॉ. कृपा शंकर राय

 सेवा के लिए सदैव समर्पित डॉ. कृपा शंकर राय  



आरंग

डाक्टरों को धरती में भगवान का रूप माना जाता है। इसे अपनी सेवा भाव से चरितार्थ किया है डाक्टर के एस राय ने।लोग बताते हैं जब वह दो वर्ष के नन्हे बालक थे, तभी कोई संत उनको डाक्टर बनने का आशीर्वाद देकर आगे बढ़ गए। आगे चलकर  संत की वाणी फलीभूत हुई। अपनी कुशाग्र बुद्धि और अथक परिश्रम से वह एक सेवाभावी और प्रख्यात डाक्टर बने।

उनकी शिक्षा-दीक्षा

सैनिक स्कूल में हुई और चिकित्सकीय शिक्षा मेडिकल कॉलेज रायपुर में पूरी हुई। इस तरह जन-जन में वह अस्थि रोग विशेषज्ञ के रुप में प्रख्यात हुए।


 *सेवा काल* 

22 नवम्बर 1987 को पेंड्रा रोड में चिकित्सा अधिकारी के रुप में उनकी प्रथम नियुक्ति हुई। तत्पश्चात बिलासपुर में नोडल अधिकारी के रूप में केवल 7 दिवस टीबी एवं कुष्ठ प्रोग्राम का संचालन किया। इसके बाद पीएचसी मंदिरहसौद में 1988 से 1991तक, बस्तर किलेपाल 1991 से 1993 तक, पुनः मंदिरहसौद में 1993 से 2000 तक, चंदखुरी में 2004 से 2014 तक और  2014 से 31 मार्च 2024 तक विकासखंड आरंग में खंड चिकित्सा अधिकारी के पद पर सेवाएं देते रहे। 


 *सरलता-सबसे बड़ी विशेषता* 

अमीर हो या गरीब ,बड़े हो या छोटे सबको एक नजरिये से देखना उनके  स्वभाव में शामिल है। अस्पताल में कदम रखते ही लोग एकत्रित हो जाते हैं और आप उसी स्थिति में मरीजों को उपचार देना प्रारम्भ कर देते हैं, यह सरलता ही उनकी सबसे बड़ी विशेषता है। कोविड-19 काल में भी उन्होंने, अपने जान की परवाह किए बिना हजारों लोगों की जान बचाए।

 प्रशासनिक पद पर रहते हुए भी उन्होंने एक आदर्श डाक्टर के रूप में प्रख्यात हैं।

जिस तरह उन्होंने पूरी निष्ठा, समर्पण और ईमानदारी से चिकित्सकीय कार्य किया है। वह अनुकरणीय और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद है। 


 *सेवा और जन सरोकार* 

उनके कुशल संयोजन में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मंदिरहसौद, फरफौद और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर निसदा को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता मानक पुरस्कार प्राप्त हुआ। जिससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में आरंग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिला। वहीं उनके सेवा, समर्पण और निष्ठा भाव से कार्य को देखते हुए सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन व नगरवासियों द्वारा वर्ष 2023 में उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा के लिए उन्हें राजा मोरध्वज‌‌‌ अलंकरण से विभूषित किया गया। इस तरह उनका संपूर्ण जीवन चिकित्सा सेवा के लिए समर्पित रहा है।

उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए आरंग नगर व क्षेत्रवासी और कर्मचारी अधिकारी सदैव कृतज्ञ रहेंगे।

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