ब्रह्माकुमारीज़ के द लाइट फ़िल्म का इंदौर के ओम शांति भवन न्यू पलासिया के द्वारा मंगल सिटी माल विजय नगर सिनेमा हाल मे देखने लोगो की उमड़ी भीड़,लोगो ने कहा ब्रह्माकुमारी का एक छोटा सा परिवार आज विशाल वृक्ष बन गया - fastnewsharpal.com
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ब्रह्माकुमारीज़ के द लाइट फ़िल्म का इंदौर के ओम शांति भवन न्यू पलासिया के द्वारा मंगल सिटी माल विजय नगर सिनेमा हाल मे देखने लोगो की उमड़ी भीड़,लोगो ने कहा ब्रह्माकुमारी का एक छोटा सा परिवार आज विशाल वृक्ष बन गया

  ब्रह्माकुमारीज़ के द लाइट फ़िल्म का इंदौर के ओम शांति भवन न्यू पलासिया के द्वारा मंगल सिटी माल विजय नगर सिनेमा हाल मे देखने लोगो की उमड़ी भीड़,लोगो ने कहा ब्रह्माकुमारी का एक छोटा सा परिवार आज विशाल वृक्ष बन गया 






इंदौर 

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ब्रह्माकुमारीज़ के द लाइट फ़िल्म का  इंदौर के ओम शांति भवन न्यू पलासिया के द्वारा मंगल सिटी माल विजय नगर सिनेमा हाल मे  दिखाया  गया जो ओम शांति भवन न्यू पलासिया की द्वारा दिखाया गया औऱ द लाइट फ़िल्म को देखने लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी।

  

इंदौर जोन के मप्र,छग,राजस्थान की ज़ोनल इंचार्ज आदरणीय वरिष्ठ राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी डॉ आरती दीदी ने  कहा कि द लाइट' मूवी मे पूरी मानवता के नैतिक, आध्यात्मिक चरित्र उत्थान की राह दिखाई साथ हीं यह भी कहा कि यह फ़िल्म महिलाओं द्वारा संचालित विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था ब्रह्माकुमारीज़ के स्थापना की अद्भुत गाथा एवं साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा के जीवन के सत्य प्रसंगों पर आधारित एक प्रेरणादायक कहानी हैं जो कि थियेटर्स में 3D एनिमेशन फ़िल्म द लाइट के ..रूप मे देखा।

इस फ़िल्म मे दिखाया हैं कि संस्था मे ब्रह्मा बाबा के द्वारा स्वयं परम पिता शिव द्वारा नई दुनिया स्थापना मे माताओ द्वारा जन जन तक ईश्वरीय ज्ञान का पैगाम दे रहे हैं, व  ब्रह्माकुमारीज आध्यात्मिक संगठन जिसे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के रूप में भी जाना जाता है,की शुरुआत 1936 में हैदराबाद सिंध में ओम मंडली के रूप में शुरू हुई थी।सन 1950 में यह आध्यात्मिक संगठन माउंट आबू के शिखर पर अरावली पहाड़ियों में स्थानांतरित किया गया। ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय के अब 140 देशों में 8500 से अधिक केंद्र हैं और प्रतिदिन 20 लाख से अधिक लोग  राजयोग का अभ्यास करते हैं। इस संस्था ने 87 वर्षों से अधिक समय से ईश्वरीय सेवाओं के प्रति समर्पित होकर शांतिपूर्ण जीवन को बढ़ावा देने के लिए सभी प्रकार के आध्यात्मिक कार्यक्रम विकसित किए हैं।आपको बता दे,

यह फिल्म ब्रह्माकुमारीज के संस्थापक दादा लेखराज कृपलानी, जिन्हें पिताश्री ब्रह्माबाबा के नाम से जाना जाता है, के वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित है, जो एक अमीर और समृद्ध हीरा व्यापारी की कहानी है| इस फ़िल्म का कथानक बीके जगदीश चंदर  द्वारा लिखित पुस्तक “एक अद्धभुत जीवन कहानी” से लिया गया है । ब्रह्माबाबा ने महिलाओं को सशक्त बनाने, मानवीय मूल्यों के बारे में जागरूकता फैलाने और आध्यात्मिकता के माध्यम से दुनिया में शांति और सद्भाव लाने के उद्देश्य से अपनी सारी संपत्ति ओम मंडली के लिए ट्रस्ट को दे दे दी थी तथा विलासिता का जीवन त्याग कर संत समान राजयोगी बन गये थे। आध्यात्मिकता के इस नए मार्ग में, उन्होंने बहादुरी के साथ कई चुनौतियों और बाधाओं का सामना किया और जीवन पूरी यात्रा के दौरान, उन्हें सर्वशक्तिमान परमात्मा “द लाइट” द्वारा मार्गदर्शन और सशक्त बनाया गया। उनके द्वारा नश्वर शरीर को त्यागने के बाद भी, उनकी दिव्य यात्रा दुनिया भर में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करती रही है।उनके द्वारा शुरू की गई आध्यात्मिक  क्रांति लाखों लोगों को आज भी प्रेरित कर रही है तथा उन्हें भविष्य के लिए सशक्त बना रही है। सच कहा जाए तो ब्रह्मा बाबा द्वारा प्रदान किए गए जीवन कौशल कालातीत साबित हुए हैं और जिन महिलाओं व भाईयों को उन्होंने सशक्त बनाया, वे प्रेम, शांति और ज्ञान का प्रतीक बन गए हैं।  इस फ़िल्म  में जहां आध्यात्मिक आभा का प्रकाश प्रज्ज्वलित हैं ,वही फ़िल्म की कलात्मकता से भी सभी रूबरू हुए ।

 इस फ़िल्म को देखने लोगो कि भारी भीड़ थिएटर मे उमड़ी औऱ लोगो ने कहा सचमुख ब्रह्माकुमारी संस्था की शुरुवात मे बहुत सहन करना पड़ा जो आज विशाल वृक्ष की भांति देश विदेश मे आज मानव मूल्य के उत्थान के लिए विभिन्न विंग के माध्यम से जन जन तक  संदेस दे रहे हैं साथ हीं गृहस्थ व्यवहार मे रहते  संस्था द्वारा दिये जाने वाले सहज राजयोग की शिक्षा अपना कर अपने जीवन को कमल फुल की तरह सुन्दर बना सकते हैं।

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