छत्तीसगढ़ी लेख-आलेख
*उमड़ घुमड़ आजा रे ये बादर,,*
रविवार, 30 जून 2024
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*उमड़ घुमड़ आजा रे ये बादर,,*
उमड़ घुमड़ आजा रे ये बादर
उमड़ घुमड़ आजा रे,,
रद- रद रद- रद पानी गिरा दे
बरसा जा रे ,,,,,,
उमड़ घुमड़ आजा रे ये बादर
उमड़ घुमड़ आजा रे,,
तोर अगोरा करत किसान ह
खेती म बिजहा लगाही
नांगर बख्खर धरके वोहा
जाँगर टोर कमाही
धनहा बाहरा खेती डोली //2//
छलका जा रे,,,,,,
उमड़ घुमड़ आजा रे ये बादर
उमड़ घुमड़ आजा रे,,
पानी म सबके बसे जिनगानी
पानी बिना जग सुन्ना
बिन पानी के मछरी बरोबर
तड़प के हो जाहि मरना
तोर अगोरा करत हे सबो झन//2//
करिया जा रे,,,,,
उमड़ घुमड़ आजा रे ये बादर
उमड़ घुमड़ आजा रे,,,,
सरर सरर चलहि पूरवाही
रिमझिम रिमझिम बरसा
साजा सागौन सरई के पाना
अउ लहरावत हे पाना परसा
हरियर हरियर खेती धनहा//2//
मन हरसा जा रे,,,,,
उमड़ घुमड़ आजा रे ये बादर
उमड़ घुमड़ आजा रे,,
*रचना*
*चेतन सिंह चौहान*
*लिंगाडीह आरंग*
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