*पूर्व विधायक नवीन मारकण्डेय को बड़ी सफलता, शासन ने रद्द किया,शासकीय भूमि आबंटन का निर्णय*
*पूर्व विधायक नवीन मारकण्डेय को बड़ी सफलता, शासन ने रद्द किया,शासकीय भूमि आबंटन का निर्णय*
आरंग/रायपुर
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष व छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अधिवक्ता नवीन मारकण्डेय ने जनहित याचिका के माध्यम से कांग्रेस के नेतृत्व वाली भूपेश बघेल सरकार द्वारा नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन, शासकीय भूमि के आवंटन एवं वार्षिक भू-भाटक के निर्धारण एवं वसूली प्रक्रिया संबंधी विवादित परिपत्र दिनांक 11 सितम्बर 2019 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी जिसकी अंतिम सुनवाई दिनांक 19 जून को राज्य शासन द्वारा उक्त विवादास्पद आदेश को निरस्त करने संबंधी शपथ प्रस्तुत किया गया था और इसी शपथ के आधार समस्त जनहित याचिकाओं का निराकरण कर दिया गया था।
ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती शासन द्वारा नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि के बंदरबांट के लिए राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर दिया गया था जिसका सर्वाधिक लाभ काँग्रेस पार्टी को मिला। इसी विवादित संशोधन आदेश को आधार बनाकर काँग्रेस पार्टी द्वारा राज्य में कई स्थानों पर नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि को आबंटित करा लिया गया था। इसके अलावा कांग्रेसी सरकार में कई रसूखदार मंत्री, नेता व भूमाफियाओं द्वारा भी इस नियम का भरपूर दुरुपयोग करते हुए राजधानी व न्यायधानी समेत कई महवपूर्ण नगरीय निकायों में करोड़ो की शासकीय भूमि को कौड़ियों के भाव मे आबंटित करा लिया गया था जिस कारण जनता के बेहद आक्रोश था।
उच्च न्यायालय में दिए गए शपथ पर अमल करते हुए विष्णुदेव सरकार ने पिछली कैबिनेट में निर्णय लेते हुए नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन, शासकीय भूमि के आवंटन एवं वार्षिक भू-भाटक के निर्धारण एवं वसूली प्रक्रिया संबंधी 11 सितम्बर 2019 को जारी परिपत्र, नगरीय क्षेत्रों में प्रदत्त स्थायी पट्टों का भूमिस्वामी हक प्रदान किए जाने संबंधी 26 अक्टूबर 2019 को जारी परिपत्र तथा नजूल के स्थायी पट्टों की भूमि को भूमिस्वामी हक में परिवर्तित किए जाने के लिए 20 मई 2020 को जारी परिपत्र को निरस्त कर दिया है जिस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए नवीन मारकण्डेय ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद दिया तथा कहा कि अंत मे यह सिद्ध हुआ कि प्रदेश में विधि का शासन है तथा पूर्ववर्ती सरकार द्वारा माफियाओं को संरक्षण दिए जाने की नीति को कतई स्वीकार नही किया जाएगा।