आरंग और कलई के मध्य स्थित है नगर का एकमात्र श्रीगणेश मंदिर जन आस्था का है केंद्र
आरंग और कलई के मध्य स्थित है नगर का एकमात्र श्रीगणेश मंदिर जन आस्था का है केंद्र
आरंग
शिवालयों की नगरी के नाम से प्रख्यात नगर आरंग में गौरी पुत्र श्रीगणेश जी की भी अनेक प्राचीन प्रतिमाएं है। वही नगर के पश्चिम में आरंग और कलई के मध्य में स्थित है नगर का एकमात्र श्रीगणेश जी का मंदिर।जो बहुत ही प्राचीन पत्थर से निर्मित है। स्थानीय लोगों के बताए जानकारी अनुसार यह प्रतिमा करीब 7-8 सौ वर्ष पुरानी है। देखने से भी यह प्रतिमा काफी प्राचीन प्रतीत होती है। प्रतिमा का कुछ हिस्सा खंडित भी हो चुका है।यह प्रतिमा करीब 3 फिट ऊंची और डेढ़ फीट चौड़ी है। जिसमें सिंदूर का लेप लगा हुआ है।मंदिर डंगनिया तालाब किनारे में ही पत्थर से निर्मित है। मंदिर के परिसर को कुछ साल पहले ग्रामीणों ने ही जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर से संलग्न एक बहुत बड़ा बेल का विशाल पेड़ है।जिसकी छांव में श्रीगणेश से विराजमान हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं करीब 21/22 वर्ष पहले इस प्रतिमा को कुछ लोग अन्यत्र ले जाने का प्रयास भी किए, पर सफल नहीं हुए।
वहीं प्राचीन प्रतिमाओं की जानकारी संकलन में लगे पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के संयोजक महेन्द्र पटेल ने बताया जब भी गांव में कोई शुभ व मांगलिक कार्य होता है। लोग इस मंदिर में श्रीगणेश जी का दर्शन व आशीर्वाद लेने जरूर पहुंचते हैं।कुछ साल पहले ही तालाब की सफाई के दरम्यान यहां कुछ पुरा अवशेष भी मिले हैं। जिसे ग्रामीणों ने संरक्षित कर मंदिर परिसर में रखा है।जन आस्था है श्रीगणेश जी की इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु पहुंचते हैं उनकी कामना अवश्य पूरी होती है।