भादों मास ऐसा पावन मधुर मास है, जिसमे श्री कृष्णजी और श्री राधाजी दोनों का प्राकट्य हुआ है----ब्रह्मदत्त शास्त्री
भादों मास ऐसा पावन मधुर मास है, जिसमे श्री कृष्णजी और श्री राधाजी दोनों का प्राकट्य हुआ है----ब्रह्मदत्त शास्त्री
नवापारा राजिम
भादों मास ऐसा पावन मधुर मास है, जिसमे श्री कृष्णजी और श्री राधाजी दोनों का प्राकट्य हुआ है, ब्रह्मदत्त शास्त्री ने बताया कि इस महीने के कृष्ण जी की जन्माष्टमी है जो अभी हमने दो हफ्ते पहले26 अगस्त को मनाई और अब शुक्ल पक्ष की अष्टमी श्री राधा रानी के प्राकट्य की तिथि है, जिस तरह से श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखकर हम कन्हैया के प्रति अपना प्रेम भक्ति और समर्पण व्यक्त करते हैं वैसे ही श्री कृष्ण की आल्हादिनी शक्ति, उनकी आराध्या श्री राधाजी की जन्माष्टमी का व्रत करने से न केवल श्री कृष्ण की करुणा कृपा प्राप्त होती है बल्कि राधाजी की करुणा कृपा की बरसात उनके भक्तों में होने लग जाती है, पदमपुराण में वर्णन है की श्री कृष्ण आधी रात को प्रकट हुए थे और राधाजी दिन में जब मध्यान्ह का सूर्य शिखर पर था तब अभिजीत नक्षत्र में प्रकट हुई थी, इसलिए सभी सनातनी वैष्णव भक्तों को यह व्रत करना चाहिए, इसके करने से व्रती को करोड़ों एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है, शास्त्री जी कहते हैं और देवता तो कृपा करते हैं पर हमारी राधा जी तो कृपा बरसाती है और जब वो कृपा बरसाती है तो भगवान श्री कृष्ण जो स्वयं उनके अनन्य आराधक हैं, वे भी कृपा करने के लिए आतुर हो जाते हैं वे तो स्वयं अपनी सर्वेश्वरी श्रीराधारानी के चरणों में लोट लगाते रहते हैं, श्री राधाकृष्ण का अटूट प्रेम उनके भक्तों को जीवन आधार है आज भी संसार उन दोनों के अलौकिक प्रेम की गाथा गाते गाते नही अघाता है, प्रभु का गोलोक धाम प्राप्त करने के लिए , उनका सानिध्य प्राप्त करने के लिए जीव को श्री राधाष्टमी का व्रत अवश्य करना चाहिए