*आरंग में मध्य रात्रि पश्चात ही हो जाती है जवांरा विसर्जन,स्त्रियों को जंवारा विसर्जन देखना है वर्जित*
*आरंग में मध्य रात्रि पश्चात ही हो जाती है जवांरा विसर्जन,स्त्रियों को जंवारा विसर्जन देखना है वर्जित*
आरंग
मंदिरों और धार्मिक नगरी आरंग में लोग नौ दिनों तक भाव भक्ति में डूबा रहा।नगर के चारों दिशाओं में विराजमान सिद्ध शक्तिपीठ देवियों सहित जगह जगह श्रद्धालुगण हजारों की संख्या में मनोकामना ज्योति दीप प्रज्वलित कर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं नगर में जंवारा का विसर्जन अष्टमी के मध्य रात्रि पश्चात से ही शुरू हो जाती है। जिनमें महामाया मंदिर,समिया माता, कंकाली माता,खल्लारी माता, दंतेश्वरी माता,चंडी माता आदि मंदिरों में ज्योत जंवारा को अष्टमी के मध्य रात्रि के पश्चात ही रात्रि में ही गुप्त रूप से विसर्जित कर दिया जाता है। समिया माता मंदिर के पुजारी 90 वर्षीय हरख राम धीवर और सहयोगी बुधुराम धीवर बताते हैं कि जंवारा विसर्जन को स्त्रियों को देखने की अनुमति नहीं है। इसलिए ही मध्य रात्रि पश्चात रात्रि में ही जंवारा का विसर्जन कर दिया जाता है। कुछ मंदिरों में तो मंदिर के पुजारी और समिति के लोग ही मध्य रात्रि पश्चात किसी भी समय गुप्त रूप से जंवारा विसर्जन कर देते हैं। जिन्हें किसी को देखने की अनुमति नहीं है।
यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। वहीं कुछ मंदिरों में नवमी के दिन सार्वजनिक रूप से जंवारा विसर्जन किया है।इस तरह विसर्जन प्रश्चात लोगों को प्रसाद वितरण किया जाता है।