महावीर जयंती विशेष---कभी जैन धर्म का प्रमुख केंद्र हुआ करता था धार्मिक नगरी आरंग - fastnewsharpal.com
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महावीर जयंती विशेष---कभी जैन धर्म का प्रमुख केंद्र हुआ करता था धार्मिक नगरी आरंग

 महावीर जयंती विशेष---कभी जैन धर्म का प्रमुख केंद्र हुआ करता था धार्मिक नगरी आरंग 



आज भी देखें जा सकते हैं जगह जगह पुरावशेष 



आरंग/रायपुर 

प्राचीन और पुरातात्विक नगरी के नाम से प्रख्यात नगर आरंग कभी जैन धर्म का भी प्रमुख केंद्र था। नगर में अपनी प्राचीन गौरवशाली इतिहास को स्मरण करा रहे राष्ट्रीय स्मारक जैन धर्म को समर्पित भांडदेवल मंदिर आज भी जन आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह पूरे छत्तीसगढ़ में जैन धर्म को समर्पित एक मात्र पूर्ण सुरक्षित मंदिर है। दूर - दूर से यहां सभी धर्मों के लोग आकर प्राचीन इतिहास का स्मरण करते हैं। जैन धर्म में चौबीस तीर्थंकर हुए थे। जिनमें से अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी थे। पुरा नगरी आरंग प्राचीन काल से ही जैन समुदाय के लिए आस्था का केंद्र था। आज भी यहां नगर के चारों दिशाओं में जगह - जगह जैन तीर्थंकरों की  प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं। नगर के कुछ स्थानों पर चौबीस तीर्थंकरों की सुंदर प्रतिमाएं भी है। जिनमें बरमबावा मंदिर, महामाया तालाब किनारे स्थित चौबीस तीर्थंकरों की सुंदर प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं।






 लंबे समय से प्रतिमाएं खुले में रखे होने के कारण प्रतिमाओं का क्षरण हो रहा है। जिसके संरक्षण की नितान्त आवश्यकता है। वहीं नगर के शीतला मंदिर, महामाया मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, चंडी मंदिर, नारायणबन मंदिर सहित अनेक स्थानों पर जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं व पुरावशेष देखें जा सकते हैं। नगर के स्वयंसेवी सामाजिक संस्था पीपला वेलफेयर फाउंडेशन इन प्रतिमाओं की संकलन व संरक्षण हेतु लगातार प्रयासरत हैं।वहीं फाउंडेशन के सदस्यों ने महावीर जयंती की शुभकामनाएं दिए हैं।

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