*'डिजिटल समावेशन और सुलभता' पर एकदिवसीय संगोष्ठी संपन्न।* - fastnewsharpal.com
फास्ट न्यूज हर पल समाचार पत्र,

*'डिजिटल समावेशन और सुलभता' पर एकदिवसीय संगोष्ठी संपन्न।*

 *'डिजिटल समावेशन और सुलभता' पर एकदिवसीय संगोष्ठी संपन्न।*



राजिम

ग्लोबल एक्सेसिबिलिटी अवेयरनेस डे के अवसर पर 'डिजिटल समावेशन और सुलभता' विषय पर एकदिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का सफल आयोजन हुआ। वक्ता के रूप में सम्मिलित जिले की व्याख्याता समीक्षा गायकवाड़ ने बताया कि शैक्षिक वार्ता मंच के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य समाज में डिजिटल तकनीकों की समावेशिता और दिव्यांगों के लिए सुलभता को लेकर व्यापक जागरूकता फैलाना था। यह आयोजन वैश्विक स्तर पर डिजिटल समावेशन की बढ़ती महत्ता के अनुरूप आयोजित किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से तकनीकी विशेषज्ञों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी में अध्यक्षता कर रही के. शारदा, दुर्ग ने अपने 'डिजिटल इंडिया और सुलभता‌ : सबके लिए तकनीक का अधिकार" विषय पर विचार रखे। दिव्यांग युवाओं के लिए डिजिटल रोजगार, फ्रीलांसिंग और रिमोट वर्क के अवसरों की विस्तृत जानकारी देते हुए शिक्षिका समीक्षा गायकवाड़ ने फ्रीलांसिंग से होने वाले लाभों को बताया।

सक्ति जिले की चंचला चंद्रा ने दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित और बौद्धिक रूप से दिव्यांग छात्रों के लिए शिक्षा में डिजिटल समावेशन की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। महेन्द्र कुमार चन्द्रा, सक्ति ने वेबसाइट और मोबाइल ऐप्स की एक्सेसिबिलिटी से जुड़ी चुनौतियों और समाधान पर चर्चा की, वहीं रिंकल बग्गा, महासमुंद ने e-Governance और डिजिटल सेवाओं को दिव्यांगजनों के लिए सहज बनाने के उपाय बताए। प्रीति शांडिल्य, धमतरी ने सरकारी पोर्टल्स और योजनाओं की सुलभता पर प्रश्न उठाया और सुझाव प्रस्तुत किए। रश्मि वर्मा,रायगढ़  ने ब्रेल डिस्प्ले, स्क्रीन रीडर, वॉयस असिस्ट और AI जैसी तकनीकों के उपयोग पर व्याख्यान दिया। ब्रजेश्वरी रावटे ,नारायणपुर ने डिजिटल समावेशन की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी पर जोर दिया। ज्योति सराफ,चांपा ने नीति निर्माण में दिव्यांगजनों की भागीदारी को रेखांकित किया। लक्ष्मण बांधेकर,कबीरधाम ने अंतरराष्ट्रीय डिजिटल एक्सेसिबिलिटी की श्रेष्ठ प्रथाओं से भारत को प्रेरणा लेने की आवश्यकता बताई। यशवंत कुमार पटेल, दुर्ग ने सुलभता ऑडिट और प्रमाणन की प्रक्रिया की जानकारी दी। जबकि ममता सिंह, सुकमा ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर समावेशी सोच को बढ़ावा देने के सामाजिक उपाय साझा किए। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि डिजिटल सुलभता केवल तकनीकी सुविधा नहीं, बल्कि एक मौलिक मानवीय अधिकार है। हम सभी की सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसा डिजिटल वातावरण बनाएं, जिसमें सभी नागरिक समान रूप से भागीदारी कर सकें। इस अवसर पर धर्मानंद गोजे, हिमकल्याणी सिन्हा, बसंती स्वर्णकार, शहनाज़ खान, अमरदीप भोगल सहित अनेक शिक्षकगण उपस्थित रहे और बेबिनार को सार्थकता प्रदान की।

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads