महासमुंद कृषि विभाग से सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी की सेवानिवृत उपरान्त जिम्मेदार अधिकारियो की उदासीनता के चलते पेंशन न मिलने पर सेवानिवृत अधिकारी की आपबीती ब्यथा
महासमुंद कृषि विभाग से सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी की सेवानिवृत उपरान्त जिम्मेदार अधिकारियो की उदासीनता के चलते पेंशन न मिलने पर सेवानिवृत अधिकारी की आपबीती ब्यथा
संवाददाता/महासमुंद
किसी स्कूल अथवा कालेज से शिक्षा प्राप्ति उपरांत जब शासकीय सेवा में नियुक्ति होती है तो उसे उसके शुभ कर्म एवं किसी जन्म के पुण्य फल का परिणाम माना जाता है। ऐसे ही सन् 1983 फरवरी माह में श्री खुमान सिंह साहू की नियुक्ति कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर हुई। कालांतर में अच्छी सेवा के फलस्वरूप उन्हें कृषि विकास अधिकारी एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के पद पर विभागीय पदोन्नति प्राप्त कर पश्चात् सेवा प्रदान की।शासन के नियम व प्रावधान अनुसार 30 जून सन् 2025 को अधिवार्षिकी आयु पूर्ण होने पर सौभाग्यशाली अंतिम दिवस सहायक संचालक कृषि के पद पर पदोन्नति के साथ कार्यालय सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी जिला महासमुन्द से सेवानिवृत्त हुए हैं।छ.ग.सिविल सेवा अधिनियम एवं शासन के नियमानुसार सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद मिलने वाला हितलाभ तत्काल मिलना चाहिए, किन्तु सेवानिवृत्त हुए 04 माह से अधिक समय के पश्चात् भी आज तक उक्त अधिकारी को कोई भी हितलाभ नहीं मिला है,जो शासन की उदासीनता एवं संबंधित विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर बहुत बड़ा प्रश्न पैदा कर रहा है।जो अधिकारी अपने संपूर्ण जीवन काल का विभाग में 40 वर्ष 04 माह से अधिक समय तक सच्चे लगन, सत्यनिष्ठा एवं ईमानदारी से शासन की सेवा की है, सेवानिवृत्ति उपरांत उनके साथ अपने ही विभाग के अधिकारियों द्वारा इस प्रकार का व्यवहार कहां तक न्यायोचित है। सेवानिवृत्त अधिकारी द्वारा न्याय पाने की अपेक्षा में विगत दिनों गुरुवार दिनांक 13.11.2025 को संवेदना एवं सुशासन की बात करने वाले "मुख्यमंत्री जनदर्शन" में आवेदन पत्र भी दिया है। किसी की जिंदगी, समय और पैसा का आज क्या महत्व है, इसके बारे में शासन एवं प्रशासन में पदासीन बुद्धिजीवी कहे जाने वाले समझदार,या तो जानबूझकर नासमझ बने हुए हैं अथवा उन्हें समझाने की जरूरत आन पड़ी है।
अब देखना यह है कि विकट परिस्थितियों का सामना कर रहे सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी श्री खुमान सिंह साहू (सहायक संचालक कृषि) के प्रति शासन एवं प्रशासन कितना ध्यान देते हैं।

