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*प्रयाग साहित्य समिति की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न*
गुरुवार, 3 सितंबर 2020
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दोस्ती का उसूल है साहिर ।
वादा करके निभाना पड़ता है।।
प्रयाग साहित्य समिति की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न
राजिम
स्थानीय गायत्री मंदिर परिसर में प्रयाग साहित्य समिति के द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्षता अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के जिला कोषाध्यक्ष विष्णु राम जांगड़े ने की। सर्वप्रथम मां सरस्वती की जयकारा के साथ ही आदिशक्ति मां गायत्री की पूजा अर्चना तथा गायत्री मंत्र का जाप किया गया। पश्चात सेवानिवृत्त शिक्षक इच्छा राम पांडे को श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया तथा प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन को उनके जन्म दिवस के अवसर पर उन्हें वस्त्राभूषण, डायरी,कलम, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि श्री सेन विगत एक दशक से लगातार गीत व कविता पर बेझिझक कलम चला रहे हैं और अंँचल का नाम रोशन कर रहे हैं इनके सम्मानित होने से कलमकारों ने इन्हें बधाई प्रेषित की तथा कवि संतोष कुमार सोनकर मंडल के संचालन में काव्य गोष्ठी प्रारंभ हुई जिसमें सर्वप्रथम शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने उम्दा शेर कहते हुए मुकम्मल ग़जल की पंक्ति देते हए भारत चीन की दोस्ती पर तंज कसते हुए कहा - अपना ग़म भी छुपाना पड़ता है, बेवजह मुस्कुराना पड़ता है। दोस्ती का उसूल है साहिर, वादा करके निभाना पड़ता है। जिसे उपस्थित कवियों ने खूब पसंद किया। गीतकार कमलेश कौशिक कठलहा ने गांव के चौपाल से लेकर न्याय व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करते हुए पंक्ति प्रस्तुत किया-नीत-नियांव नई हे अब तो कोन्हो गाँव मा। धरम ईमान हा बिक जाथे गा एकक पांव मं।। टीकम सेन दिवाकर ने देश के गद्दारों पर व्यंग्य की बरसात की। पंक्ति देखिए-फांसी पर लटका दो यारो देश के उन गद्दारों को, सेना का अपमान करें उन कायर और मक्कारो को। हास्य कवि गोकुल सेन ने छत्तीसगढ़ की महिमा का बखान करते हुए कहा कि- होंगे सुराज अब तो अंगना महक जाही गा। सुक्खा ये डबरी संगी तरिया छलक जाही गा। कवि नूतन साहू ने पितृ पक्ष को रेखांकित करते हुए रचना सुनाई, प्रस्तुत है कुछ अंश-पूर्वजों को याद कर लो देंगे आशीष, पितृपक्ष सुनहरा मौका तर्पण ही है ईश। वरिष्ठ कवि तुकाराम कंसारी संघर्ष ने नई कविता प्रस्तुत किया- नई कलम का आगाज लिखता हूं। जमीं पर रहकर आसमां की परवाज लिखता हूं। व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर संतोष सेन ने व्यंग्य रचनाओं से सराबोर कर दिया। नवोदित कवि होरीलाल साहू ने मोटिवेशन पर शानदार रचना प्रस्तुत की कि-कहीं उजाला तो कहीं शाम होगी, मेरी हर खुशी तेरे नाम होगी।
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