ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा
ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा
ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा किया गया जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किए
प्रतिदिन की भांति सत्संग परिचर्चा में ऋचा बहन के द्वारा मीठा मोती का प्रसारण किया गया जिसमें संदेश प्रेषित हुआ कि जिसके होसले डगमगा जाते हैं वह मंजिल को भूल कांटों में फस जाते हैं किसकी निगाह मंजिल पर होती है वे कांटों में भी चल कर मंजिल को पा लेते हैं, इसके भाव का विस्तार करते हुए बाबा जी ने बताया कि स्पष्ट है कि जो व्यक्ति निश्चयात्मक बुद्धि से कार्य करता हैँ वही लक्ष्य को प्राप्त करता है भटकाव वाली बुद्धि नहीं रखनी चाहिए एक तो संसार में किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए यदि भरोसा करो तो निश्चित कर लो कि वह व्यक्ति भरोसे के लायक है कि नहीं तभी भरोसा करो और जब निश्चित होकर भरोसा करो तो, डगमगाना नहीं चाहिए विश्वास सब पर मत करो लेकिन जब विश्वास करो तो जाच परख के करो उस पर शंका ना करो, इस तरह लक्ष्य निर्धारित करने से पूर्व बार बार सोच लेना चाहिए जानकारों से पूछना चाहिए गुरुजनों से विचार करना चाहिए सत्संग कर उस पर चिंतन करना चाहिए तभी अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना कोई मजाक नहीं एक बार लक्ष्य निर्धारित कर लिया तो फिर उस पर पूर्ण निष्ठा से समर्पित होकर चलना चाहिए
सत्संग परिचर्चा को आगे बढ़ाते पाठक परदेसी जी ने सुंदरकांड के दोहे " मात कुशल प्रभु अनुज समेता...... के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबाजी से की, इसके भाव का विश्लेषण करते हुए बाबा जी ने बताया कि यह प्रसंग सीता मैया और हनुमान जी के मध्य का है जब हनुमान जी, प्रभु श्री राम की मुद्रिका लेकर सीता मैया के समक्ष प्रकट होते हैं उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है कि शौक से व्याकुल माता सीता को धैर्य बंधाया जाए ब्रह्मचारी हनुमान जी मैया सीता के हृदय की बातों को भी जान जाते हैं प्रभु श्रीराम के हृदय के भाव भी जान जाते हैं क्योंकि वे अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता है यहां पर सीता माता को धैर्य बंधाते हुए हनुमान जी कहते हैं, माता सीता जी लंका से मुक्ति चाहती है परंतु श्री राम जी का लक्ष्य पूरे संसार को दानवों से मुक्ति दिलाने का है
कौशल साहू जी ने प्याज लहसुन को को वर्जित क्यों माना गया है इस विषय में पूछा तब बाबा जी ने प्याज लहसुन के विषय में बताया कि प्याज लहसुन हमारे देवी देवता कभी ग्रहण नहीं करते क्योंकि यह तामसिक प्रवृत्ति का होता है इसीलिए हम साधु संत भी जो हमारे देवी देवताओं को ग्रहण नहीं ऐसी वस्तुएं ग्रहण नहीं करते अतः हिंदू धर्म में सभी साधु संत सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं क्योंकि प्याज लहसुन तामसीक गुणों से युक्त होता है इसलिए इसका सेवन नहीं किया जाता
इस प्रकार आज का सत्संग पूर्ण हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम